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गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान सावधानियों के लिए क्या करे

जैसे ही घर मे नन्हे मेहमान की आने की खबर आती है, पूरे घर मे खुशियां फैल जाती है। और साथ ही शुरू होता अलग अलग तरह की सलाह का सिलसिला। ये करना, वो करना, ऐसे मत करना, ये सब सुन सुन कर केवल गर्भवती स्त्री ही नही बल्कि परिवार भी कंफ्यूज हो जाता है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि गर्भवती स्त्री को कम से कम शुरु के तीन महीनों में सही जानकारी मिले। आज इस आर्टिकल में हम गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान सावधानियों के बारे में बताएंगे। क्योंकि गर्भावस्था के पहले तीन महीने सबसे नाजुक महीने होते है।

क्यों रखनी होती है खास सावधानी

  • शुरू में महिला के शरीर में अचानक बदलाव होने शुरू होते है, जैसे कुछ भी खाने पर उल्टी होती है, ऐसे में बहुत देखभाल की जरूरत होती है।
  • भ्रूण अपने अंग बनाना शुरू कर रहा होता है, इसलिए गर्भवती स्त्री बहुत कमजोरी महसूस करती है। गर्भपात की सबसे ज्यादा सम्भावना इन्ही महीनों में होती है। क्योंकि न तो भ्रूण पूरी तरह से बना होता है ना ही गर्भवती स्त्री उल्टी और कमज़ोरी के मजबूत स्थिति में होती है।
  • गर्भावस्था के पहले तीन महीने में पति पत्नी को सम्बंध बनाने से भी बचना होता है। क्योंकि गर्भवती स्त्री बहुत ही कमज़ोर होती है और भ्रूण भी अविकसित अवस्था मे होता है।

गर्भावस्था के पहले तीन महीने में रखे ये सावधानिया

  • इस समय उल्टियां लग रही होती है, घुटन महसूस होती है, इसलिए जरूरी है कि गर्भवती स्त्री ज्यादा भीड़भाड़ से दूर रहें।
  • शुरू के तीन महीनों में भ्रूण और गर्भवती स्त्री दोनों ही कमजोर होते है। ऐसे में ज्यादा से कोशिश करें कि प्रदूषण वाले स्थानों से ज्यादा से ज्यादा दूर रहें।
  • किसी भी तरह का रेडिएशन स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए भी खतरनाक है। ऐसे में गर्भवती स्त्री और भ्रूण के लिए तो ये और भी खतरनाक है। ऐसे में जरूरी है की गर्भवती स्त्री रेडिएशन की जगह से दूर रहें।
  • मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर का कम से कम इस्तेमाल करें।
  • कोशिश करे की इस समय पर यात्रा न करें, लेकिन यदि आप जॉब करती है, या यात्रा करना जरूरी हो तो ज्यादा खराब रास्तो से बचें।
    पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने से बचे, प्राइवेट कैब या ऑटो का इंतजाम करे।
  • इस समय एल्कोहल और बीड़ी सिगरेट से पूरी तरह दूरी बनाए रखें। यहाँ तक कि परिवार में भी यदि कोई धूम्रपान करता है तो उससे दूर रहे। क्योंकि पैसिव धूम्रपान अर्थात धूम्रपान का धुआं भी उतना ही नुकसान दायक होता है।
  • इन चीज़ों से बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में कई तरह की बाधाएं पैदा होती है।
  • इस समय अनेक शारीरिक बदलाव होने के कारण तनाव होना लाजमी है। फिर भी ज्यादा से ज्यादा तनावमुक्त रहने की कोशिश करें।
    क्योंकि तनाव भी गर्भ में पल रहे शिशु के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है। ये गर्भपात का कारण भी हो सकता है। तनाव से बचने के लिए अच्छा म्यूजिक सुनें, अच्छी किताबें पढ़ें, अपने आप को व्यस्त रखें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार एक्सरसाइज करें।
  • गर्भावस्था के दौरान बिल्कुल कोशिश न करें कि वजन कम रहे। वजन आप बाद में भी कम कर सकती है। अभी मातृत्व को एन्जॉय करें। अन्यथा शरीर में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन, कई तरह के खनिजों और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
  • इस समय ज्यादा मसाज, हॉट टब और सॉना बाथ का उपयोग भी न करें, क्योंकि इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जो बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
  • ज्यादा तला-भुना और मसालेदार खाना न खाएं। इससे गैस और पेट में जलन हो सकती है। जो भी खाएं, फ्रेश खाएं। बाहर के खाने से इंफेक्शन होने का खतरा होता है, इसलिए बाहर खाने से बचें।

कैसा रखें आहार

क्या खाये

फोलिक एसिड

इस समय सबसे जरूरी होता है फोलिक एसिड, डॉक्टर द्वारा बताए गए फोलिक एसिड बिल्कुल मिस न करें। ये शिशु के लिए बहुत ही जरूरी होता है।

सरसों का तेल

बच्चे के दिमाग के विकास के लिए ओमेगा-3 और ओमेगा-6 बहुत जरूरी है। फिश लिवर ऑयल, ड्राइफ्रूट्स, हरी पत्तेदार सब्जियों और सरसों के तेल में यह अच्छी मात्रा में मिलते हैं।

पेय पदार्थ

इस समय मॉर्निंग सिकनेस की समस्या बहुत आम है ऐसे में नींबू-पानी या अदरक की चाय पी जा सकती हैं। इसके अलावा लगातार तरल पदार्थ जैसे छाछ, नींबू-पानी, नारियल पानी, फलों का जूस या शेक पीएं।

गर्भावस्था में भोजन

हर घण्टे हल्का फुल्का खाते रहे, पानी की कमी न होने दे। आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दाल, पनीर, अंडा, नॉनवेज, सोयाबीन, दूध, दही, पालक, गुड़, अनार, चना, पोहा, मुरमुरे फल और हरी पत्तेदार सब्जियां आहार् में शामिल करें।

क्या ना खाये

कच्चे मांस, कच्चे अंडे का सेवन बिल्कुल न करें, इनसे इंफेक्शन होने का खतरा रहता है।

सबसे जरूरी बातें

  • डॉक्टर द्वारा बताए हुए किसी भी टेस्ट या चेकअप को इग्नोर न करें। शिशु में किसी भी प्रकार की विसंगति का पता लगाने के लिए ये बहुत जरूरी है।
  • वजन न उठाएं, यदि आपकी पहली संतान है तो उसे गोद मे उठाने से बचे।
  • सीढ़ियो को अवॉयड करें, जरुरी हो तो बहुत ही सावधानी से चढ़े उतरे।
  • डॉक्टर की जानकारी के बिना कोई भी दवाई न खाए।
  • किसी भी तरह के असामान्य रक्तस्राव, दर्द होने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।

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