गर्भावस्था जहां हर महिला और उसके परिवार के लिए खुशियों की सौगात लेकर आती है वहीं दूसरी ओर किसी भी कारणवश होने वाला गर्भपात हर महिला के लिए किसी सदमे से कम नहीं होता। जब एक महिला गर्भवती होती है तो उसके खाने-पीने का उसके आराम का पूरा ध्यान रखा जाता है ताकि जन्म लेने वाला बच्चा स्वास्थ्य पैदा हो सभी सावधानियों के बावजूद भी कई बार कुछ महिलाएं गर्भपात का शिकार हो जाती हैं।
गर्भपात के बाद जहां महिला शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाती है वही उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। गर्भवती के लिए गर्भपात का दर्द काफी तकलीफ देता है और इस दुख से उबरने में उसे कुछ वक्त लगता है ऐसे समय में महिला का ख्याल रखा जाना जरूरी होता है ।
गर्भपात के पश्चात महिला के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों का ध्यान रखना अति आवश्यक है। गर्भपात के पश्चात महिला को मानसिक संबल और अच्छे खानपान की आवश्यकता होती है ।
गर्भपात के मुख्य कारण-
आइए जानते हैं गर्भपात के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं ?
- महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं जैसे गांठ गुणसूत्र संबंधित असमानता, गर्भाशय ग्रीवा की असंगति जैसी समस्याओं के कारण गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में गर्भपात होने की संभावना होती है।
- यदि कोई महिला हाइपर हाइपर, थायराइड, डायबिटीज या ब्लड प्रेशर जैसी समस्या से ग्रसित है तो उसके गर्भपात होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है अतः गर्भावस्था के दौरान इन सभी समस्याओं के नियंत्रण पर ध्यान देना आवश्यक होता है ।
- असमान्य जीवन शैली ,धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन करने से भी गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है ।
- गर्भावस्था के दौरान कुछ फल जैसे पपीता और अनानास का सेवन गर्भपात का कारण हो सकता है अतः गर्भावस्था के प्रथम तीन महीनों में इन फलों के सेवन से बचना चाहिए ।
- असुरक्षित यौन सम्बन्ध के कारण भी गर्भपात हो जाता है ।
गर्भपात के बाद भोजन
आइए जानते हैं गर्भपात के बाद महिला का भोजन किस प्रकार का होना चाहिए ?
गर्भपात के दौरान अधिक मात्रा में रक्त बहने के कारण महिला कमजोर हो जाते हैं अतः उसे पौष्टिक खानपान की अति आवश्यकता होती है अतः महिला के भोजन में निम्न खाद्य पदार्थों को शामिल करना अति आवश्यक है जिससे उसे जल्दी ठीक होने में सहायता मिलती है.
आयरन युक्त आहार –
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर से काफी मात्रा में रक्त स्त्राव होता है जिसके कारण उसे शरीर में खून की कमी होना स्वाभाविक है । अत्यधिक रक्तचाप के कारण शरीर में आयरन की कमी हो जाती है इससे एनीमिया भी हो सकता है अतः गर्भपात के बाद में आयरन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे बींस ,हरी पत्तेदार सब्जियां, किशमिश, कद्दू के बीज, दालें, सोयाबीन आदि का सेवन का सेवन करना चाहिए ।
प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ –
गर्भपात के बाद शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करने के लिए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने की आवश्यकता होती है । प्रोटीन में अमीनो एसिड पाया जाता है जो शरीर में कोशिकाओं की मरम्मत करने में सहायक होता है ।
शाकाहारी महिलाओं को प्रोटीन के स्रोत के रूप में दूध, दाल ,छोले , सोयाबीन,डेयरी उत्पाद, किनोवा कथा कुट्टू आदि का सेवन करना चाहिए । वही मांसाहारी महिलाएं अंडे,मछली ,चिकन आदि का सेवन कर प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकती हैं ।
कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ –
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के हृदय ,मांसपेशियों ,हड्डियों और दांतों को विकसित करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है। गर्भपात होने की स्थिति में गर्भावस्था के टिशूज के साथ कैल्शियम भी बाहर निकल जाता है किसके कारण शरीर में कैल्शियम की मात्रा में कमी हो जाती है ,इसलिए महिला को गर्भपात के बाद में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे डेरी प्रोडक्ट ,हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली ,सूखे मेवे आदि का सेवन करना चाहिए ।
अन्य ध्यान रखने योग्य बाते-
- इन सबके अलावा गर्भपात होने के पश्चात महिला को फोलेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पालक , करमसाग ,शतावरी, ब्रोकली, नींबू ,संतरा, भिंडी आदि का सेवन करना चाहिए क्योंकि गर्भपात के बाद कई महिलाएं पुनः गर्भधारण की योजना बनती हैं और इसके लिए फोलेट युक्त भोजन लाभदायक होता है ।
- साथ ही सूखे में वह जैसे बादाम, पिस्ता, अखरोट, काजू आदि को भी अपने भोजन में शामिल करना चाहिए । सूखे मेवे में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो गर्भपात के बाद आई कमजोरी को दूर करने में काफी लाभदायक होते हैं। सूखे मेवे में विटामिन ई, मैग्नीशियम, फोलेट, ओमेगा 3, ओमेगा 6 पोषक तत्व से भरपूर होते हैं फाइबर का अच्छा स्रोत होते हैं ।
- सूखे मेवे का अत्यधिक प्रयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें वसा और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है जिससे अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हर बात के बाद अधिक मात्रा में फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए खासकर विटामिन सी से भरपूर कल जैसे मौसमी, संतरा, स्ट्रॉबेरी आदि का सेवन शरीर में लौह शोषण का कार्य करता है।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहना चाहिए ।
- अत्यधिक फैट वाले दूध उत्पाद ,मांस ,जंक फूड, मिठाइयां ,अधिक कार्बोहाइड्रेट और कम फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ, धूम्रपान और अल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए ।
- पहले से ही यदि कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है तो किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए ।
- परिवार के सदस्यों को चाहिए कि वह महिला को भावनात्मक संबल प्रदान करें ताकि जल्दी से जल्दी स्वास्थ्य में सुधार हो सके ।
गर्भपात के बाद पेट में दर्द क्यों होता है?
गर्भपात के बाद महिलाओं के गर्भाशय के आकार में वृद्धि हो जाती है । जब बढ़ा हुआ गर्भाशय धीरे-धीरे अपने ओरिजिनल शेप में आता है तो महिलाओं को थोड़ा दर्द हो सकता है । गर्भपात के बाद महिलाओं के गर्भाशय में थक्के बनते हैं जो पेट में दर्द की समस्या को जन्म देते हैं।
गर्भपात के बाद क्या सावधानी रखनी चाहिए?
गर्भपात के बाद जितना हो सके तरल पेय पदार्थ लेंना चाहिए। कम से कम 3 हफ़्तों तक भारी वजन उठाने से बचना चाहिऐ। डॉक्टर के द्वारा बताये गए दवाईयो का सेवन करें। गर्भपात से 2 हफ़्तों तक व्यायाम करने से बचें। गर्म पानी से नहाने या स्पा आदि में जाने से बचें कुछ दिनों तक, ताकि गर्भाशय के अन्दर किसी तरह के संक्रमण होने खतरा न हो सके। गर्भपात के 2 से 4 हफ़्तों तक सेक्स करने से बचें।
गर्भपात के बाद क्या करना चाहिए?
गर्भपात के बाद ब्लीडिंग बहुत होती है इसलिए इस दौरान महिलाओं को आयरन युक्त आहार लेना चाहिए। ब्लीडिंग के कारण शरीर में आयरन की कमी हो जाती है जिससे एनीमिया हो सकता है। मिसकैरेज के बाद थकान और कमजोरी महसूस होना आम बात है। गर्भपात के बाद बींस, हरी पत्तेदार सब्जियों, किशमिश, दालें, कद्दू के बीज, सोयाबीन, ब्राउन राइस और डार्क चॉकलेट का सेवन करना चाहिए ये आयरन से भरपूर होती है।