प्रेगनेंसी मे ब्लीडिंग रोकने के उपाय-Pregnancy Me Bleeding Rokne Ke Upay

प्रेगनेंसी मे ब्लीडिंग के कारण

  • विकसित हो रही प्लेसेंटा की वजह से थोड़ी ब्लीडिंग हो सकती है। जब आप करीब छह सप्ताह की गर्भवती होती हैं, तो आपकी गर्भावस्था में थोड़ा बदलाव आता है। आपकी प्लेसेंटा गर्भावस्था के हॉर्मोन बनाने का काम अब खुद करने लगती है। इसकी वजह से हल्का रक्तस्त्राव हो सकता है।
  • जब  पीरियड्स आने का समय होता है लगभग उसी समय पीरियड के हॉर्मोन सक्रिय होने के कारण भी हल्का रक्तस्त्राव हो सकता है। एक मत यह भी है कि निषेचित डिंब के गर्भाशय की दीवार में इम्प्लांटेशन होने की वजह से भी हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
  • प्रेगनेंसी मे माहवारी आने के समय पर थोड़ा रक्तस्त्राव हो सकता है, मगर इसका माहवारी के हॉर्मोनों या प्रत्यारोपण से कोई मतलब नहीं है। अधिकांश सामान्य रक्तस्त्राव प्रत्यारोपण के पांच दिन बाद होता है।
  • प्लेसेंटा के विकसित होने के अलावा भी आपके शरीर के भीतर बहुत कुछ हो रहा होता है, जिनकी वजह से कुछ ब्लीडिंग हो सकती है, जैसे-
  • ग्रीवा में जलन व असहजता। गर्भावस्था के हॉर्मोन आपकी ग्रीवा की सतह में बदलाव कर सकते हैं, जिससे रक्तस्त्राव की संभावना बढ़ जाती है, जैसे कि संभोग करने के बाद। यूटेरीन फाइब्राइड, जो कि गर्भाशय की परत में बढ़ते हैं। कई बार, प्लेसेंटा  वहां प्रत्यारोपित हो जाती है, जहां फाइब्राइड हो। ग्रीवा पर छोटी और गैर नुकसानदेह गांठ (सर्वाइकल पॉलिप)।
  • ग्रीवा या योनि में इनफेक्शन।

अन्य कारण

इसके अलावा प्रेगनेंसी मे ब्लीडिंग के गंभीर कारण हो सकते है जैसे-

  • गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भपात आमतौर पर तब होता है, जब शिशु सही तरीके से विकसित नहीं हो रहा हो। ऐसे में रक्तस्त्राव निरंतर बढ़ता जाता है।
  • अस्थानिक गर्भावस्था में निषेचित डिंब गर्भाशय से बाहर प्रत्यारोपित हो जाता है। दुर्भाग्यवश, ऐसा होने पर शिशु विकसित नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में रक्तस्त्राव जारी रह सकता है, और यह गहरे रंग का और पानी जैसा पतला दिख सकता है।
  • मोलर गर्भावस्था रक्तस्त्राव का एक अन्य कारण मोलर गर्भावस्था भी है। मोलर गर्भावस्था तब होती है, जब डिंब तो नि​षेचित हो जाता है, मगर गलत संख्या वाले गुणसूत्रों (क्रोमोसोम) के साथ मिलने की वजह से शिशु का विकास नहीं हो पाता। स्वस्थ शिशु की बजाय असामान्य कोशिकाओं (हाइडेटिडिफॉर्म मोल) का गुच्छा गर्भ में बढ़ता है।
  • यदि आपके गर्भ में जुड़वा शिशु हैं, तो भी आपको स्पॉटिंग होने की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है। दुख की बात यह है कि कई बार एक शिशु का​ विकास रुक जाता है
  • यह भी संभव है कि  पेट पर आघात लगने से, या गिर जाने पर भी रक्तस्त्राव हो सकता है। पहली तिमाही में पेट पर आघात लगने से गर्भपात होने का भी खतरा रहता है।

प्रेगनेंसी मे ब्लीडिंग रोकने के उपाय-Pregnancy Me Bleeding Rokne Ke Upay

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते है। कभी कभी इनके साथ अन्य चीजें भी हो सकती है। इन्हीं में से एक है प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग होना । वैसे तो शुरुआती दौर में थोड़ी-बहुत ब्लीडिंग होती है तो घबराने की बात नहीं है, लेकिन जब ब्लीडिंग ज्यादा हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिऐ आज इस लेख मे हम बात करेगे गर्भावस्था मे ब्लीडिंग रोकने के उपाय

  • प्रेगनेंसी मे ब्लीडिंग होने पर आपको आराम करना चाहिए, अधिक वजन नहीं उठाना चाहिए और ज्यादा मेहनत वाला काम नहीं करना चाहिए।
  • खूब पानी पीएं। ज्यादा देर तक प्यासी न रहें। पानी पीने से आपका शरीर हाइड्रेट रहेगा।
  • टैम्पॉन का उपयोग करने से आप अपनी ब्लीडिंग का ध्यान रख पाएंगी और प्रेगनेंसी के दौरान सफाई से भी रह पाएंगी।
  • ब्लीडिंग होने पर अमरूद की कुछ पत्तियों का सेवन कर सकती हैं।
  • फोलिक एसिड मां और शिशु दोनों के लिए जरूरी है। इसके सेवन से हार्मोंस संतुलित रहते हैं। साथ ही प्लेसेंटा की प्रक्रिया भी बेहतर होती है और भ्रूण सुरक्षित रहता है। फोलिक एसिड लेने से गर्भपात की आशंका भी कुछ हद तक कम हो सकती है। साथ ही ब्लीडिंग की समस्या से भी राहत मिल सकती है।
  • प्रेग्नेंसी में शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए।

इन बातों का भी ख्याल रखे

  • अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है तो लापरवाही न करें बल्कि तुरंत डॉक्टर को दिखा दें।
  • प्रेगनेंसी के समय ब्लीडिंग होने पर परेशान होने की बजाय शांत दिमाग़ से पहले ये देखे की आप को ब्लड ज्यादा निकल रहा है या दर्द ज्यादा हो रहा है। अब इस बात को आप अपने चिकित्सक से साँझा करे ताकि आपको ब्लीडिंग रोकने के सही ट्रीटमेंट मिल सकती है
  • ब्लीडिंग होने के दौरान पेंटी या फिर पैड पहने, इससे आप ये जान सकेंगे की ब्लीडिंग कितनी और किस तरह की हो रही है।
  • इस बात का ध्यान देना भी जरुरी है की ब्लड गाढ़ा है या पतला व कितनी तेज़ी से ब्लड निकल रहा है।
  • प्रेगनेंसी के दौरान रक्तस्राव होने के साथ अगर कुछ अन्य लक्षण भी दिखे तो इस बारे में डॉक्टर को बताये। जैसे की पेट में दर्द होना या पीरियड जैसा महसूस होना।

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