आयुर्वेदिक गुणों से संपन्न केसर का प्रयोग छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह न केवल कई बीमारियों से हमें बचाता है बल्कि रोग हो जाने पर ठीक करने में भी सहायक होता है। केसर का पौधा छोटे आकार का होता है और कई साल तक जीवित रहता है। केसर के फूल के स्त्री केसर के सूखे हुए आगे वाले भाग को केसर कहते हैं। सर्दी जुकाम, ठंड लगने, पेट दर्द और त्वचा पर निखार लाने के लिए केसर का इस्तेमाल किया जाता है परंतु गर्भवती महिलाओं के लिए केसर किसी वरदान से कम नहीं है।
अक्सर गर्भवती महिलाओं को यह सलाह दी जाती है कि केसर का दूध पीने से बच्चे का रंग गोरा होता है यह बात प्रमाणित तो नहीं है परंतु प्रेगनेंसी में केसर का सेवन करने और केसर का दूध पीने से काफी फायदा होता है।इससे कई तरह की बीमारियों से गर्भवती महिला का बचाव होता है परंतु कहते हैं ना कि कोई भी चीज जरूरत से ज्यादा अगर खाई जाए तो का नुकसान ही पहुंचाती है इसलिए केसर का गर्भावस्था के दौरान प्रयोग करते समय सही मात्रा का ध्यान रखना अत्यधिक आवश्यक है।
आइए जानते हैं एक गर्भवती महिला को केसर कब और कितना केसर लेना चाहिए?
गर्भावस्था की दूसरे और तीसरे महीने में गर्भपात का खतरा कम होता है इसलिए प्रतिदिन 5 से 10 मिलीग्राम केसर का इस्तेमाल किया जा सकता है केसर के करीब 5 से 7 रेशे 10मिलीग्राम के बराबर होते हैं। गर्भावस्था के प्रारंभिक 3 महीनों में केसर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दौरान केसर का इस्तेमाल करने से गर्भाशय के संकुचन और गर्भपात का खतरा रहता है। ज्यादा से ज्यादा पांच महीने तक केसर का सेवन करना चाहिए इसके बाद केसर का प्रयोग बंद करना ही उचित होता है।
केसर का सेवन किस प्रकार करना चाहिए ?
गर्भावस्था में केसर का प्रयोग मिठाई, खीर, रबड़ी और दूध के साथ किया जा सकता है । दूध में केसर के चार या पांच रेशे डाल कर उसे गर्म करके पीने से गर्भवती स्त्री को काफी फायदा होता है। इसके अलावा केसर के रेशों को पानी या दूध में भिगोकर किसी डिश में डालकर भी प्रयोग किया जा सकता है।
गर्भावस्था में केसर के फायदे-Pregnancy Me Kesar Ke Fayde In Hindi
मॉर्निंग सिकनेस की समस्या करे दूर
अधिकांश महिलाओं को महिलाओं को प्रेगनेंसी के शुरुआती समय में मॉर्निंग सिकनेस की समस्या रहती है। इस दौरान उल्टी आना और सिर घूमना सिर घूमना जैसी दिक्कतें महसूस होती हैं। ऐसी अवस्था में केसर वाली चाय का सेवन करना फायदेमंद होता है।
बदहजमी करे दूर
गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करने से पाचन तंत्र समस्या संबंधी समस्याएं दूर होती है और भूख खुलकर लगती है। केसर आंतों के ऊपर एक परत बनाकर बदहजमी को दूर करता है ।
निम्न रक्तचाप में कमी
दूध में केसर के 3 – 4 रेशे गर्म दूध में डालकर पीने से निम्न रक्तचाप में कमी आती है और साथ ही मांसपेशियों को राहत मिलती है।
आंखों के लिए स्वास्थ्यवर्धक
केसर का प्रयोग आंखों के लिए काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है ।ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान का सेवन करने से नज़र तेज होती है ।
त्वचा संबंधी रोग करे दूर
गर्भावस्था के दौरान त्वचा संबंधी किसी प्रकार की समस्या होने पर केसर का सेवन लाभप्रद होता है ।
पेट दर्द की समस्या करे दूर
यदि गर्भवती को पेट दर्द की समस्या रहती है केसर के सेवन से इस समस्या को दूर किया जा सकता है ।
क्रैम्प्स भी हो कम
गर्भावस्था के दौरान बच्चे को संभालने के लिए शरीर में कई सारे परिवर्तन होते हैं जिसके कारण कुछ महिलाओं में क्रैम्प्स की समस्या होती है ।
इस समस्या में केसर नेचुरल पेन किलर का काम करता है यह मांसपेशियों को आराम देकर क्रैम्प्स की समस्या को दूर करता है ।
मूड स्विंग भी हो कम
गर्भावस्था में हार्मोन चेंजिंग के कारण गर्भवती महिलाओं में मूड स्विंग की समस्या होती है केसर के प्रयोग से मूड स्विंग की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
अन्य फायदे
कुछ महिलाओं हो गर्भावस्था के दौरान अस्थमा की समस्या होती है ऐसे में केसर का सेवन रामबाण उपाय है ।
गर्भवती महिला को यदि अनिंद्रा की समस्या है तो समस्या में केसर के सेवन से नींद अच्छी आती है।
केसर गर्भवती महिला के दूध उत्पादन में भी वृद्धि करता है।
केसर के नुकसान
वैसे तो केसर का प्रयोग गर्भवती के लिए बेहद फायदेमंद है परंतु हर चीज का अत्यधिक प्रयोग नुकसानदायक होता है ।
- केसर की तासीर गर्म होती है इसलिए इसके अत्यधिक प्रयोग से गर्भपात का खतरा होता है ।
- केसर के ज्यादा प्रयोग से मुंह में छालों की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है ।
- केसर के अधिक सेवन से उच्च रक्तचाप की समस्या भी हो सकती है ।
- हमेशा शुद्ध केसर का प्रयोग ही फायदेमंद होता है बाजार में मिलने वाले मिलावटी केसर के कारण गर्भवती महिला की स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
सीमित मात्रा में केसर का प्रयोग लाभप्रद है परंतु क्योंकि केसर की तासीर गर्म होती है अतः इसका प्रयोग गर्भावस्था के 3 से 5 महीनों के में ही करना चाहिए । डॉक्टर के परामर्श के बिना केसर का प्रयोग नहीं करना चाहिए । गर्भवती महिला को यदि बीपी अथवा ह्रदय संबंधी किसी भी प्रकार की बीमारी है तो उसे केसर के प्रयोग से बचना चाहिए ।