बच्चे को दूध पिलाने के तरीके | Tips on Breastfeeding In Hindi

एक माँ गर्भावस्था के समय काफ़ी चीज़ों का सामना करती हैं जैसे जीं मचलना, उल्टियाँ, कमर दर्द आदि। शिशु के जन्म के बाद भी कुछ कठिनाइयाँ सामने आती है और उनमें से एक है स्तनपान। यदि आप अपने शिशु को स्तनपान कराने में कुछ कठिनाइयों का सामना कर रही है तो घबराइए मत। पहली बार बनी माताओं को कुछ शुरुआती दिक़्क़तें आती है। बस थोड़ा सा अभ्यास और निश्चय मन से किया हुआ प्रयास ज़रूर कामयाब होता है।

बच्चे को दूध पिलाने के तरीके | Breastfeeding Tips

शुरुआती तैयारी

सबसे पहले तो तो आप ख़ुद तो तैयार करना शुरू करे। बच्चे को दूध पिलाने के तरीके के बारे में पहले से पढ़ना काफ़ी लाभदायक है। इससे आपको स्तनपान के समय ज़्यादा कठिनाई नहीं आएगी। आप अपने घर की महिलाओं से भी इस बारे में बात कर सकती है।

पौष्टिक भोजन | Healthy Diet For Breastfeeding Mothers

कुछ महिलाओ के स्तनों में दूध का उत्पादन काम होने के कारण उनके शिशु का पेट नहीं भरता है। उसके लिए आप माँ का दूध बढ़ाने के तरीके भी पढ़ ले जिससे आप माँ का दूध बढ़ाने के घरेलु नुस्खों से ही अपने शिशु का पेट भर देंगी | शुरू से ही पौष्टिक आहार का सेवन करे। अच्छा पौष्टिक आहार लेने से दूध की गुडवार्ता बड़ती है। आप जितना अच्छा भोजन लेंगी उतना पौष्टिक दूध आपके शिशु को मिलेगा।

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स्तनपान की शुरुआत

यह कहना कठिन होगा की पहली बार आपको स्तनपान कराने में कितना समय लग सकता है। कुछ महिलाओं को दस मिनट लगे तो कुछ को एक घंटा या उससे ज़्यादा। लेकिन ऐसे में आपको घबराने की ज़रूरत नहीं है। आप अपनी डॉक्टर की सहायता ले सकती है।

माँ और शिशु

स्तनपान एक ऐसी चीज़ है जो माँ और बच्चे को एक जोड़े रखती है। इसीलिए ज़रूरी है की जब भी आप अपने बच्चे को स्तनपान कराए, इस बात का ध्यान रखे की आप और शिशु आरामदायक अवस्था में हो। अगर आपको शोर में स्तनपान कराने में दिक्कत हो रही है तो कोई ऐसी जगह चुने जहाँ शांति हो। यदि आप स्तनपान कराते हुए बोर होने लगती है तो आप टीवी या लाइट म्यूज़िक भी सुन सकती है।

स्तनपान की अवस्थाएँ (Breastfeeding Positions)

अगर आप बैठे बैठे थक जाती है तो आप अर्ध लेटी अवस्था में भी स्तनपान (Breastfeeding Positions) करा सकती है। अपने शिशु को सहारा देने के लिए उसके आस पास तकिए रख कर आप उसे आराम से स्तनपान करा सकती है। बैठी अवस्था में आप अपने पैरों को आराम देने के लिए स्टूल भी रख सकती है।

महत्वपूर्ण बात

स्तनपान कराते समय यह ज़रूर महसूस करे की जब आपका शिशु दूध पीता है तो आपको कैसा महसूस होता है। आपके शिशु को स्तनाग्र का बड़ा हिस्सा मुँह में भरकर स्तनपान करना चाहिए जिससे उसे ठीक से दूध मिलेगा।

स्तनों में दर्द (Pain In Breast While Breastfeeding)

यदि स्तनपान कराते समय आपको स्तनों में दर्द हो रहा है तो घबराइयेगा मत। यह बिलकुल स्वाभाविक है और सभी महिलाओं को ऐसा होता है। अपनी डॉक्टर के सलाह लेकर आप अपने स्तनों पर दवाई लगा सकती है जिससे आपको स्तनपान कराने में कठिनाई ना हो। एक बार जब शिशु सीख जाता है दूध पीना तो आपको दिक्कत नहीं होगी।

पर्याप्त स्तनपान

जब भी शिशु को स्तनपान कराए तो एक हाई स्तन से अच्छे से उसे दूध पीने दे जब तक की वह ख़ुद ना छोड़ें। अगर आप बीच में ख़ुद हीं दूसरे स्तन से पिलाना शुरू कर देंगी तो शिशु को शुरुआत का दूध मिलेगा तो पतला होता है और पौष्टिक गाढ़ा दूध नहीं मिल पाएगा जिससे शिशु बारबार दूध कु माँग करेगा। यदि शिशु ख़ुद एक स्तन से पीने की बाद और दूध माँगता है तभी उसे दूसरे स्तन से पिलाए।

स्तनपान के बाद

स्तनपान के बाद अपने शिशु को ध्यान से अपने कंधे से लगाए और आराम से उसकी पीठ ऊपर से नीचे की ओर माले। इससे उसे डकार आ जाएगा और दूध पचने में आसानी होगी। जब तक बच्चे को डकार ना आए तक तक मले, इसमें दस से बीस मिनट भी लग सकते है। इस प्रक्रिया में बच्चा थोड़ा दूध निकल सकता है जो की स्वाभाविक है।

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स्तनपान से जुड़ी बातें (Breastfeeding Tips)

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डबल्यू॰एच॰ओ॰ के अनुसार एक माँ को जन्म के बाद कम से कम पहले छह महीने तक स्तनपान करना चाहिए। और उसके बाद  आप चाहिए तो इसे आगे भी बढ़ा सकती है। एक से दो साल तक भी आप अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती है जो की बच्चे के लिए लाभदायक है। काफ़ी महिलायें तीन साल तक भी स्तनपान जारी रखती है।

कुछ महिलायें जल्दी ही इसने अपना तालमेल बिठा लेती है और कुछ को थोड़ा समय लगता है। ऐसे में हताश ना हो, अपनी डॉक्टर और घर की महिलाओं की सहायता से आप भी आसानी से स्तनपान करा सकती है। स्तनपान कराने के लिए आपको दृढ़ निश्चय होना पड़ेगा क्यूँकि यह आपके और आपके शिशु के लिए एक महत्वपूर्ण चीज़ है जिसे आप दोनो को मिल कर सीखना होगा। थोड़ा थोड़ा करते करते जल्द हीं आप महसूस करेंगी की आप और आपका शिशु को स्तनपान करते समय कोई दिक्कत नहीं आती।

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