गर्भावस्था में एक औरत बहुत सी मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझती है। अन्य लक्षणों के अलावा कमर दर्द एक आम समस्या है। गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द से बैठना और लेटना तक मुश्किल हो जाता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको गर्भावस्था में कमरदर्द के बारे में डिटेल से बताएंगे।
गर्भावस्था में कमर दर्द-Pregnancy Me Back Pain In Hindi
गर्भावस्था में कमर दर्द के कारण
हम आपको अलग अलग तिमाही के अनुसार गर्भावस्था में कमर दर्द के कारण बताएंगे।
पहली तिमाही में कमर दर्द के कारण
गर्भावस्था में बहुत से हार्मोंस (रिलैक्सिन) का उत्पादन होता है। इन हॉर्मोन्स के कारण कूल्हे की हड्डी यानी पेल्विस मुलायम और लचीली बनती है, ताकि डिलीवरी के समय आसानी हो।
जब कोई चीज़ मुलायम हो जाती है तो उस पर आसानी से स्ट्रेस पड़ सकता है। इसलिये पहली तिमाही में डॉक्टर द्वारा ज्यादा केअर करने की सलाह दी जाती है।
दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही में कमर दर्द
दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही तक शिशु विकास करने लगता है। जिस कारण पेट आगे और नीचे की तरफ झुकने लगता है । ऐसे में कमर की मांसपेशियों और लिगामेंट्स पर प्रेशर पड़ता है। जिस कारण कमर दर्द में दिन ब दिन बढ़ोतरी होती जाती है।
अन्य कारण
गर्भावस्था में कमरदर्द का मुख्य कारण वजन बढ़ना होता है। आमतौर पर गर्भावस्था में 11.5 से 16 किलो के बीच वजन बढ़ता है, जिस कारण कमर दर्द की समस्या होती है। बढ़े हुए वजन को रीढ़ की हड्डी ही सपोर्ट करती है, जिस कारण गर्भवती को पीठ दर्द होने लगता है।
गर्भावस्था में महिलाओं को तनाव से दूर रहने की हिदायत दी जाती है। क्योंकि किसी भी प्रकार के तनाव से स्ट्रेस हॉरमोन निकलते है।इस कारण भी गर्भवती को पीठ में दर्द हो सकता है।
गर्भावस्था में बॉडी पोस्चर वैसे ही खराब हो जाता है, ऐसे में अगर आप भी गलत तरीके से बैठेंगी, खड़ी होंगी या लेटेंगी तो कमर दर्द बढ़ने के पूरे आसार होते है।
गर्भावस्था में कमर दर्द के उपाय
बॉडी मसाज
गर्भावस्था के दौरान मसाज बहुत ही ज्यादा जरूरी होती है। मसाज करने से रक्त संचार तीव्र होता है, जिससे ब्लड के साथ ऑक्सिजन का फ्लो बढ़ता है। ये ऑक्सिजन अपने साथ पोषक तत्वों को मसाज एरिया में ले जाती है। इस प्रकार न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तनाव भी खत्म होता है।
सहारा लेकर बैठे
जब भी आप बैठे, कमर की तरफ कुछ सपोर्ट जरूर रखे, लंबे समय तक न बैठे। पैरों को नीचे लटका कर न बैठे। कोई भी छोटा स्टूल या चेयर पर पैर आगे को तरफ फैला ले।
अच्छे सपोर्ट के लिए पिलो और कुशन का इस्तेमाल करे।
वजन उठाने से बचे
गर्भावस्था में भारी सामान उठाने से बचना चाहिए। इससे आपकी पीठ पर बुरा असर पड़ता है और दर्द बढ़ सकता है। साथ ही साथ पीठ के बल बिल्कुल ना झुके।
अगर आपको झुककर कोई सामान उठाना भी पड़े, तो पहले घुटने के बल झुके और फिर सामान उठाएं। इस दौरान अपनी पीठ पर दबाव ना पड़ने दें।
व्यायाम व योग करे
एक अच्छे एक्सपर्ट की देखरेख में व्यायाम व योग जरूर करे। इससे वजन कंट्रोल में रहेगा, तनाव कम होगा, शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी जिससे डिलीवरी के दौरान फायदा होगा।
मेटरनिटी बेल्ट
गर्भावस्था के दौरान पेट पर बांधने वाली यानी मेटरनिटी बेल्ट का इस्तेमाल जरूर करे। यह बेल्ट बढ़े हुए पेट का भार संभाल लेती है, जिससे आपको पीठ दर्द से राहत मिल सकती है । लेकिन कभी भी इस बेल्ट को जरूरत से ज्यादा न कसे।
पोस्चर का रखे ध्यान
बाई ओर सोने की कोशिश करें पीठ के बल नहीं , अपने पेट के नीचे और अपने घुटनों के बीच तकिए रखे ताकि आपको सोने में सहायता मिल सके।
अगर आपको जमीन से कुछ उठाना है तो अपने घुटनों को मोड़ें और कमर को सीधा रखें। कुछ उठाने के लिए अपनी कमर की बजाए पैरों पर प्रेशर डालें। कोशिश करें कि आपके इस्तेमाल करने वाला सभी जरूरी सामान आपकी पहुंच के अंदर हो।
ड्राइविंग करते समय व सोते समय मेटरनिटी बेल्ट न लगाएं।साथ ही ड्राइविंग करते समय यह सुनिश्चित करें कि आपकी सीट बेल्ट से आपका पेट दब न रहा हो।
खानपान पर खास नजर
डॉक्टर द्वारा सुझाये गए मल्टीविटामिन और मिनरल्स के अलावा नेचुरल स्त्रोतों से भी पोषक तत्व जरूर ले।
कैल्शियम और विटामिन डी वाली चीजों को पर्याप्त मात्रा में सेवन करें. दूध, दही और पनीर वगैरह लें।
हरी पत्तेदार सब्जियों को अपने डाइट प्लान में शामिल करें. रोजाना 10 बजे से पहले थोड़ी देर के लिए धूप में जरूर बैठें। इससे आपके शरीर मे विटामिन डी की कमी पूरी होगी।
फुटवियर हो आरामदायक
आपके स्लीपर्स फ्लैट, सिंपल और कर्म्फटेबल हों। हाई हील्स के शूज पहनने से बचें, ये आपकी कमर पर अधिक भार डालते हैं।