गर्भावस्था जहां एक और हर महिला के लिए सुखद एहसास लेकर आती है वहीं दूसरी ओर कई सारी समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं जैसे-चक्कर आना, उल्टी होना, जी मिचलाना, सांस लेने में तकलीफ होना ,योनि से पानी आना आदि। ऐसा गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोन के स्तर में परिवर्तन के कारण होता है ।अलग-अलग महिलाओं में यह समस्याएं भी अलग अलग होती हैं।
इन सभी समस्याओं सबसे महत्वपूर्ण समस्या है योनि से पानी आना ,योनि से सफेद पानी आने को ल्युकोरिया भी कहते हैं। वैसे तो गर्भावस्था के दौरान योनि से सफेद पानी आना बहुत ही सामान्य बात है लेकिन कई महिलाओं को यह पता नहीं होता कि गर्भावस्था में योनि से सफेद स्त्राव होता है ऐसा होने पर उन्हें चिंता होने लगती है। आईए जानते हैं की गर्भावस्था में योनि से सफेद पानी का स्त्राव क्या है और इसके क्या कारण है?
गर्भावस्था में पानी आना-Pregnancy Mai Pani Ana
गर्भाशय ग्रीवा और योनि में सफेद रंग का एक तरल पदार्थ बनता है जो महिला के शरीर से गंदगी को बाहर निकालने का कार्य करता है। यह सफेद पानी शरीर से मृत कोशिकाओं को बाहर निकालता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ जाता है जिससे सफेद स्राव भी ज्यादा होने लगता है इसके अलावा जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का विकास होता रहता है उसके सिर से गर्भाशय की ग्रीवा पर दबाव पड़ता है और इस कारण सफेद पानी का स्राव बढ़ जाता है परंतु ऐसा गर्भावस्था के अंतिम चरण में ही होता है इसके अलावा गर्भावस्था में योनि की ग्रीवा और दीवारें गर्म हो जाती है जिससे सफेद तरल पदार्थ का स्त्राव अधिक होने लगता है।
योनि से सफेद पानी के स्त्राव के साथ शरीर की मृत कोशिकाएं बाहर निकल जाती हैं और बर्थ कैनाल को संक्रमण से सुरक्षा मिलती है इससे योनि में बैक्टीरिया भी संतुलित रहता है। सफेद रंग का गाढ़ा, चिपचिपा और गंधरहित स्राव होना सामान्य बात है और इसके लिए चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है।
गर्भावस्था में सफेद पानी आना
गर्भावस्था के हर तीन महीनों में योनि से होने वाले स्त्राव में अंतर होता है। आइए जानते हैं कि हर तिमाही में किस प्रकार का स्त्राव होना सामान्य है :
शुरुआती 3 महीनों में होने वाला स्त्राव गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों में होने वाला स्त्राव पतला और रंगहीन होता है। वैसे तो यह स्त्राव बिल्कुल सामान्य ही होता है परंतु यदि कोई असामान्य लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
3 से 6 माह में होने वाला स्त्राव
गर्भावस्था के अगले 3 महीनों में होने वाला स्त्राव अंडे के सफेद भाग की तरह दिखता है यदि सफेद पानी के साथ रक्त भी आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।
6 से 9 महीने में होने वाला स्त्राव
गर्भावस्था के 6 से 9 महीनों में सफेद पानी अधिक मात्रा में निकलना शुरू हो जाता है क्योंकि इस तिमाही में शिशु का विकास काफी हद तक हो जाता है और उसकी सिर से गर्भाशय पर दबाव पड़ता है । इस समय में सफेद पानी के साथ हल्के रक्त के थक्के आना सामान्य बात है परंतु फिर भी डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है ।
अंतिम समय में होने वाला स्त्राव
गर्भावस्था के अंतिम समय में म्यूकस प्लग योनि की ओर खिसकने लगता है और इस दौरान साफ, गुलाबी या हल्का सा रक्त वाला स्त्राव होता है जिसे ‘ शो’ कहा जाता है ।आमतौर पर यह स्त्राव प्रसव के कुछ दिन पहले होता है ।
गर्भावस्था के दौरान होने वाला स्त्राव में परंतु यदि निम्न लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए –
- पीले, हरे या भूरे रंग का स्त्राव होना ।
- योनि का लाल होना,जलन या खुजली महसूस होना ।
- स्त्राव से तेज दुर्गन्ध आना ।
- लगातार बुखार आना ।
- मूत्र विसर्जन में कठिनाई होना ।
गर्भवती स्त्री में यदि निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो यह योनि संक्रमण अथवा यौन संबंधी बीमारियों बीमारियों जैसे एसटीआई, वेजिनोसिस अथवा खमीर संक्रमण आदि के लक्षण हो सकते हैं ।
संक्रमण से बचने के उपाय
गर्भावस्था में सफेद पानी आना सामान्य है परंतु संक्रमण की स्थिति घातक होती है। आइए जानते हैं कि संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए :
- गर्भावस्था के दौरान योनि संक्रमण से बचने के लिए हमेशा अपने जननांगों को साफ रखना चाहिए।
- मलत्याग तथा पेशाब के बाद जननांग को आगे से पीछे की ओर साफ करना चाहिए ।
- जननांग की सफाई हेतु किसी भी के सुगन्धित साबुन, डियो या परफ्यूम के प्रयोग से बचना चाहिए।
- गर्भवती को टैम्पोन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था के समय योनि में बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं और टैम्पोन द्वारा बैक्टीरिया योनि मार्ग में प्रवेश कर सकते हैं।
- सेक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करना चाहिए।
- हमेशा कॉटन ही अंडरवियर ही पहननी चाहिए और समय समय पर अंडरवियर को बदलते रहना चाहिए।
- असामान्य बैक्टीरियल वृद्धि को रोकने के लिए हमेशा पीएच संतुलित योनि शोधक (इंटीमेट वाश) का प्रयोग करना चाहिए।
- नियमित रूप से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए पानी पीना चाहिए।
- अत्यधिक तले भुने और मसालेदार भोजन का प्रयोग करने से बचना चाहिए। भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों का अधिक सेवन करना चाहिए ।
बात में कोई संदेह नहीं है कि गर्भावस्था के दौरान सफेद पानी आना सामान्य और सुरक्षित है परंतु यदि किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण दिखाई दें तो बिना देरी किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।