Sorry, you have been blocked

You are unable to access resetwindnsfix.icu

Why have I been blocked?

This website is using a security service to protect itself from online attacks. The action you just performed triggered the security solution. There are several actions that could trigger this block including submitting a certain word or phrase, a SQL command or malformed data.

What can I do to resolve this?

You can email the site owner to let them know you were blocked. Please include what you were doing when this page came up and the Cloudflare Ray ID found at the bottom of this page.

बचपन की बीमारियाँ और उनके टीके-kids vaccination chart india

बचपन की बीमारियाँ और उनके टीके, इसके बारे में हर माता-पिता को पता होना चाहिए। बच्चों को भविष्य में कोई बड़ी बीमारी ना हो और उससे बचाव के लिए उन्हें टीके लगाये जाते है। अपने बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए टीके (Baby Vaccination) लगवाना हर माता-पिता का कर्तव्य होता है। लेकिन काफी माता-पिता ऐसे होते है जिन्हें इन टीकों के बारे में पता ही नहीं होता है। बच्चों को दो तरह के टीके लगाए जाते है कुछ वैकल्पिक और कुछ अनिवार्य। इसके लिए भारत सरकार हमेशा प्रयास करती रहती है। कुछ नर्सेज घर-घर जाकर भी बच्चों को टीके लगाती है और सरकारी अस्पताल में भी टीकाकरण (vaccination chart for babies in india) की व्यवस्था होती है।

kids disease

शिशु की उम्र के हिसाब से उसे टीके लगाये जाते है। आज की इस पोस्ट में हम आपको बच्चों की बीमारियाँ और उनके टीकों (Baby Disease And Vaccination Chart) के बारे में बताएँगे। आईये जानते है बचपन की बीमारियाँ और उनके टीकों के बारे में।

पूरी जानकारी के लिए पोस्ट को आखिर तक जरुर पड़े।

बचपन की बीमारियाँ और उनके टिके (Vaccination Chart For Babies In India)

  • डिप्थीरिया
  • हैपेटाइटिस ए
  • हैपेटाइटिस बी
  • खसरा
  • काली खांसी
  • पोलियो
  • रोटावायरस
  • टिटनस
  • तपेदिक (टी.बी)
  • टायफाइड
  • चिकनफॉक्स

डिप्थीरिया (Diphtheria)

यह मुख्यत: गले की बीमारी है और संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से फैलती है।

मुख्य लक्षण

अगर यह रोग गंभीर हो जाये तो दिल और इम्युनु सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है। कई बार तो इससे मौत तक हो सकती है।

शिशु को इस रोग से बचाने के लिए डी.टी.पी या डी.पी.टी का टीका (DPT Vaccination) लगाया जाता है।

हैपेटाइटिस ए (Hepatitis A Vaccine)

यह विषाणु द्वारा फैलने वाला रोग है जो लीवर को प्रभावित करता है। यह रोग दूषित भोजन, पानी या किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से फैलता है। यह रोग खासकर शिशुओं और बच्चों में ज्यादा होता है।

मुख्य लक्षण

इसके लक्षण सही से पता नहीं चलते। सामन्य फ्लू होने पर भी यह रोग हो सकता है।

इससे बचाव के लिए हैपेटाइटिस ए का टीका (Hepatitis A Vaccine)लगाया जाता है।

हैपेटाइटिस बी (Hepatitis B Vaccine)

यह भी विषाणु द्वारा फैलने वाला रोग है जो लीवर में जलन और सुजन पैदा करता है।

मुख्य लक्षण
  • बुखार,
  • भूख कम लगना,
  • जोड़ो में दर्द,
  • उल्टी,
  • पिली त्वचा

इससे बचाव के लिए बच्चों को हैप बी का टीका (Hepatitis A Vaccine) लगाया जाता है।  

खसरा (Measles)

जब इसका टीका नहीं लगाया जाता था तब यह बच्चों में होने वाली सबसे आम बीमारी थी। यह एक संक्रामक रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से फैलता है। यह जुखाम और बुखार के साथ शुरू होता है।

खसरे के लिए आप अपने बच्चे को एम.एम.आर का टीका (M.M.R. Vaccine) लगवा सकते है।

काली खांसी (Hooping cough)

तह भी एक संक्रामक रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से फैलता है। शुरुआत में सर्दी-जुकाम से इस बीमारी की शुरुआत होती है लेकिन बाद में धीरे-धीरे यह काली खांसी का रूप लेकर और गंभीर हो जाती है। काली खांसी कई हफ्तों तक चलती है। इसकी वजह से बच्चों को निमोनिया, उल्टी, वजन घटना जैसी अनेक समस्याएं हो सकती है।

इसके लिए बच्चों को डी.टी.पी का टीका (DPT Vaccination) लगाया जाता है।

पोलियो (Polio Vaccine)

पोलियो भी विषाणु से फैलता है और इसका विषाणु सीधा दिमाग और मेरुदंड पर हमला करता है। कई बार तो यह लकवे तक का कारण बन सकता है। यह भी संक्रमित व्यक्ति के मल, बलगम या ठुक के सम्पर्क में आने से फैलता है। इसके लिए शिशु को ओ.पी.वी और आई.पी.वी का टीका लगाया जाता है। हालाँकि भारत सरकार के अथक प्रयास से इस रोग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है।

रोटावायरस (Rotavirus Vaccine)

इसकी वजह से बच्चों में गंभीर दस्त होने लगते है। यह तीन माह से लेकर दो साल तक की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। यह भी संक्रमित रोग है जो हवा के सम्पर्क में आने, संक्रमित खिलोने आदि से भी फैलता है।

मुख्य लक्षण
  • बुखार,
  • पेट दर्द,
  • उल्टी,
  • पतले दस्त आदि।

इसके लिए बच्चों को रोटावायरस का टीका लगाया जाता है।

टिटनस (Tetanus)

यह रोग मांसपेशियों में दर्द भरी एंठन पैदा करता है। कई बार तो यह रोग जानलेवा तक हो जाता है। यह रोग शरीर में चोट या घाव के जरिये प्रवेश करता है। अगर कोई पशु काट ले तो भी यह रोग हो सकता है। इससे बचाव के लिए बच्चो को डी.टी.पी का टीका लगाया जाता है।

तपेदिक (टी.बी)

तपेदिक यानी टीबी यह भी जीवाणु से फैलने वाली बीमारी है। आमतौर पर यह फेफड़ों को प्रभावित करती है। टीबी से संक्रमित व्यक्ति के लंबे समय तक खांसने या छींकने से यह रोग फैलता है।

मुख्य लक्षण
  • बुखार,
  • रात में पसीना आना,
  • बलगम में खून आना,
  • छाती में दर्द,
  • कमजोरी,
  • वजन घटना आदि।

इसके लिए शिशु को बीसीजी का टीका लगाया जाता है।

टायफाइड

यह संक्रमित व्यक्ति के मल, दूषित भोजन और पेय पदार्थों के सेवन से फैलता है।

मुख्य लक्षण
  • तह बुखार,
  • बैचेनी,
  • सिर दर्द,
  • कब्ज,
  • दस्त,
  • छाती पर गुलाबी रंग के निशान,
  • लीवर का बढना आदि।

इसके लिए बच्चों को टायफाइड का टीका लगाया जाता है।

चिकनफॉक्स

इसे छोटी माता भी कहते है। यह रोग हर्पिस विषाणु से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या उसके सम्पर्क में रहने से यह रोग फैलता है. इसमें शरीर पर खुजली वाले दाने, छाले आदि हो जाते है। वैसे यह रोग जिंदगी में एक बार ही होता है बहुत ही रेयर केस में इसके दोबारा होने की संभावना है।

इसकी सुरक्षा के लिए बच्चो को वैरीसेला नामक टीका लगाया जाता है। इस टिके की वजह से बच्चे को दोबारा यह रोग कभी नहीं होता है।

क्या टीकों से साइड इफ़ेक्ट हो सकते है? (Side Effects Of Vaccines In Babies)

वैसे इन टीकों के कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है लेकिन कई बार कुछ सामान्य से साइड इफ़ेक्ट दिख सकते है जैसे हल्का बुखार, उल्टी, दस्त, भोजन की इच्छा ना होना आदि। लेकिन इसमें डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह साइड इफ़ेक्ट थोड़े टाइम के लिए होते है। कई बार तो टिके का इंजेक्शन लगाते ही 10 मिनट में एलर्जी होने के लक्षण दिख सकते है।

एसेमे अगर आपको साइड इफ़ेक्ट की चिंता है तो आप कुछ देर तक क्लिनिक में रुक सकती है। वैसे इनके साइड इफेक्ट्स से डरने की कोई जरूरत नहीं है। 10 लाख में से 1-2 बंदे ऐसे होते है जिन्हें साइड इफेक्ट्स होने की संभावना है।

Leave a comment