( ब्रीच पोजीशन गर्भावस्था के 37 से 40 सप्ताह के बीच होता है इस पोजीशन को प्रसव के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है, इस पोजीशन में सिर अटकने का खतरा बना रहता है इसमें बच्चे को ऑक्सीजन की कमी भी हो सकती है इसके अलावा गर्भनाल पर भी दबाव पड़ता है जिससे आक्सीजन बंद हो जाता है ऐसी स्थिति में मरीज को सर्जरी की सलाह दी जाती है)
सामान्य गर्भाशय में बच्चे का सिर नीचे की ओर होता है खासकर गर्भावस्था के आखिरी कुछ हफ्तों में महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि किसी भी समय बच्चा हो सकता है अगर बच्चे का सिर नीचे की तरफ ना हो तो प्रसव के समय खतरा हो सकता है ऐसे जन्म लेने पर बच्चे का पैर पहले बाहर आते हैं इसे उल्टा प्रसव करते हैं। कभी कभी उल्टा प्रसव आराम से भी हो सकता है।या इसमें कई समस्याएं भी आ सकती हैं।
कई बार महिलाओं से कुछ ऐसी गलतियां हो जाती है जिसकी वजह से उनकी गर्भ में पल रहे बच्चे को काफी नुकसान होता है ,और गर्भ में पल रहा बच्चा उल्टा हो जाता है । वैसे तो जब महिलाएं गर्भधारण करती हैं तब शुरुआत में कई बच्चे उल्टे होते हैं लेकिन प्रसव का समय नजदीक आते ही गर्भ में बच्चा सीधा हो जाता है।[/vc_column_text][vc_column_text]अगर प्रसव के समय गर्भ में बच्चा सीधा ना हो तो इन बातो का जरुर ख्याल रखे।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”एक्सरसाइज करने की सलाह” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]अगर किसी महिला को ये लगता है कि उसके गर्भ में पल रहा बच्चा उल्टा है तो सबसे पहले वह अपने डॉक्टर से संपर्क करे । डॉक्टर अपनी जाँच के दौरान बच्चे के पोजीशन का पता लगाने की कोशिश करेगे कि बच्चा सीधा होने की संभावना है कि नही और अगर गर्भ मे पल रहे बच्चे को सीधे होने की संभावना नही है तो डॉक्टर महिला को कुछ एक्सरसाइज बतायेगे जिससे गर्भ मे पल रहा बच्चा सीधा हो सके।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”एक्सटर्नल सफालिक वर्शन” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]अगर गर्भवती महिला के एक्सरसाइज करने के बाद भी बच्चा सीधा नही हो पाता तो डॉक्टर एक्सटर्नल सफालिक वर्शन नामक प्रक्रिया करने की सलाह भी देते है। एक्सटर्नल सफालिक वर्शन प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर अपने हाथों से महिला के पेट के बाहर से ही बच्चे को सीधा करने की कोशिश करते है और ये प्रकिया प्रेगनेंसी के आखिरी हफ़्तों में की जाती है। यह महिला के लिए थोड़ा पीड़ाजनक है। पर 40से 50 प्रतिशत केस मे यह उपाय सफल पाया गया है।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]