क्या गर्भावस्था में सांस फूलने से हो सकता है बच्चे को कुछ नुक्सान?

[vc_row][vc_column][vc_custom_heading text=”गर्भावस्था में सांस फूलना” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]गर्भ में जब बालक आता है माँ कई बदलावो से दो चार होती है। गर्भावस्था में महिला को बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलावो से गुजरना पड़ता है। गर्भावस्था के ये महीने और हफ्ते अपने साथ बहुत सी भावनाए,लक्षण, दिक्कते लेकर आती है। इन्ही में से एक समस्या होती है सांस फूलना। गर्भवती स्त्री काम करते समय,चलते समय यहां तक कि बात करते समय भी सांस लेने में दिक्कत महसूस करती है। गर्भावस्था में सांस फूलना एक आम बात है और लगभग हर महिला प्रेग्नेंसी में इससे दो चार होती है। कुछ स्त्रियों को ये दिक्कत ज्यादा होती है किसी को कम। गर्भावस्था में सांस फूलने के कई कारण होते है जिनमे से कुछ निम्न है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”हॉर्मोन में बदलाव” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बहुत बदलाव आता है, उन्ही में से एक हॉर्मोन होता है प्रोजेस्टेरोन। प्रोजेस्टेरोन का स्तर तेजी से बढ़ता है,ये रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ा हॉर्मोन है। ब्रेन का जो भाग रेस्पिरेटरी सिस्टम को कंट्रोल करता है यह उसी पर असर डालता है। इस कारण शरीर में ऑक्सिजन की मांग बढ़ जाती है। पहले महिला के सांस लेने की दर,गति उस महिला के अनुसार थी। लेकिन अब महिला के अंदर एक और जीव पल रहा है दोनो को ही ऑक्सीजन की जरूरत है। इस पूर्ति के लिए सांस लेने की गति और तीव्रता बढ़ जाती है। गर्भवती स्त्री के शरीर मे रक्त की मात्रा दोगुनी हो जाती है। गहरी सांस लेने से गर्भवती ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन अंदर ले पाती है तथा कार्बनडाई ऑक्साइड निकाल पाती है। इस प्रक्रिया से हृदय को अतिरिक्त रक्त आपूर्ति को सम्भालने में मदद मिलती है। गर्भाशय बढ़ने के कारण छाती और पेट के बीच मे जो डायाफ्राम होता है उस पर दबाव बढ़ जाता है। इससे फेफड़ो के काम करने की शक्ति कम हो जाती है। गर्भावस्था में रक्त प्रवाह तेज होने या सर्दी लगने से रेस्पिरेटेरी सिस्टम की म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन से भी सांस लेने दिक्कत हो सकती है। एनीमिया अस्थमा या फ्लू जैसी परिस्थितयो में भी साँसे फूलने की परेशानी से गर्भवती स्त्री परेशान होती है। इनमें से कोई भी कारण होने पर अपने डॉक्टर को जरूर बताए और जरूरत के अनुसार आयरन सप्लीमेंट्स, इनहेलर या वैक्सीनेशन करवाए। जुड़वां बच्चे होने की स्थिति में भी गर्भवती महिला सांस लेने में तकलीफ महसूस करती है। इसके अलावा वजन उठाना, जरूरत से ज्यादा वजन बढ़ना,शरीर मे पानी की कमी से भी ये परेशानी होती है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”सांस में दिक्कत कब तक” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]सांस लेने दिक्कत सप्ताह और महीने के साथ बढ़ती है कब डिलीवरी का समय नजदीक आने पर बच्चा नीचे आता है तो माँ कुछ राहत महसूस करती है। क्योंकि बच्चे के नीचे खिसकने पर डायाफ्राम पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाता है। इससे फेफड़ो की कार्य क्षमता बढ़ जाती है और महिला आराम से सांस ले पाती है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”क्या इससे शिशु को नुकसान होता है?” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]सांस फूलने पर गर्भवती स्त्री के मन मे अजन्मे शिशु के लिए चिंता होती है कि कहीं शिशु को तो कोई दिक्कत नही हो रही। नही, माँ के सांस फूलने के कारण शिशु को कोई नुकसान नही होता। शिशु गर्भाशय में बहुत ही सुरक्षित होता है,लेकिन यदि माँ इस बात का तनाव ले तो सांस ज्यादा फूल सकती है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”सांस फूलने के उपाय” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]गर्भावस्था में सांस फूलने से बचा तो नही जा सकता लेकिन इसे काफी हद तक सामान्य किया जा सकता है। तो ये है कुछ उपाय जिन्हें अपनाकर आप कुछ आराम महसूस कर सकती है। सबसे पहले तो सांस फूलने पर आराम करें, जब भी किसी गतिविधि के बाद चाहे वो गृहकार्य हो, व्यायाम हो अथवा सीढ़िया चढ़ना, आपका सांस फुले तो तुरंत आराम करे। काम खत्म करके आराम करूँगी ऐसा कभी ना सोचे स्थिति और बिगड़ेगी इससे। सोते समय बाई करवट लेकर लेटे, इससे आपको काफी आराम मिलेगा। ज्यादा लम्बे समय तक एक पोजीशन में ना रहे,थोड़ी थोड़ी देर में पोजीशन चेंज करते रहे। अपनी जीवन शैली में आहार,व्यायाम,तथा मानसिक शांति को शामिल करें। खूब पानी पिएं। वजन जरूरत से ज्यादा ना बढ़ने दे।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”शुरुआत के आठ हफ़्तों में” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]आप सुबह 30 मिनट टहल सकती है ये आपके और बच्चे दोनो के लिए लाभकारी है। हल्का व्यायाम करें। केवल गर्भावस्था में होने वाले योग करे,सांस रोकने और पेट पर जोर डालने वाले योग और एक्सरसाइस ना करे। ज्यादा उछल कूद ना करें, यात्रा से बचे।आरामदायक वस्त्र पहनें, खुश रहे क्योंकि आपकी मानसिक स्थिति का असर आपके बच्चे पर होगा। विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन अच्छे से करना चाहिए। फोलिक एसिड युक्त पदार्थ,हरि सब्जियां,विटामिन C,और चावल आदि का सेवन शुरू कर देना चाहिए। खूब पानी पिएं, सुबह उठकर विटामिन सी वाला कोई भी फल जैसे संतरा या मौसम्बी खाए इससे मॉर्निंग सिकनेस में आराम मिलेगा। गर्म तासीर वाली चीज़े जैसे पपीता,चीकू, नही खानी चाहिए। गैस ,अपच से बचने के लिए भारी और तला हुआ कम से कम खाए। जंक फूड, कैफीन,एल्कोहल, छोड़ दे। जरूरत से ज्यादा मीठा भी आपको नुकसान करेगा।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”व्यायाम” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]टहलने का समय बढ़ा दे। योग्य शिक्षक की देखरेख में या उनके कहे अनुसार ही व्यायाम या योग करे। पीठ के बल लेटकर करने वाली एक्सरसाइज बन्द कर दे। आरामदायक पोजीशन में रहे, नकारात्मक विचारों से दूर रहे ये आपके होने वाले बच्चे के लिए ठीक नही है। काम के लिए भागदौड़ या जल्दबाजी ना करे। डेयरी प्रोडक्ट के साथ साथ रेड मीट,हरी सब्जियां खाए।कैल्शियम ,प्रोटीन,आयरन से बच्चे के मसल्स,ऊतकों और हड्डियों का विकास होता है। हैल्थी खाने से हार्मोनल बदलाव से होने वाली समस्याए भी दूर होती है। डॉक्टर ने फोलिक एसिड का जो सप्पलीमेंट दिया है वो रेगुलर लेती रहे। जिंक का सेवन बढ़ा दे, कम से कम 15 मिलीग्राम रोज ले, साबुत अनाज, सूखे मेवे जिंक के अच्छे स्त्रोत है। इसकी कमी से प्रसव में दिक्कत हो सकती है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”क्या ना खाएं” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]मछली,जंक फूड, ना खाएं। पानी मे कीटनाशकों की मात्रा अधिक होती है ऐसे पानी की मछली खाने से शरीर मे मर्करी की मात्रा बढ़ सकती है जो बच्चे के लिए खतरनाक है। गर्म तासीर वाली चीज़े डॉक्टर की सलाह से खाए।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”व्यायाम” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]वार्मअप जरूर करे,हॉर्मोन शरीर को लचीला बनाते है आप वार्मअप से शरीर को और लचीला बना सकती है,ज्यादा उछल कूद न करें। शरीर के साथ जबरदस्ती ना करें।टहलते रहे,ज्यादा देर तक खड़े ना रहे ना खड़े होने वाली एक्सरसाइज ना करे। नकारात्मक विचार निकाल दे और बुरी आदतों को छोड़ दे। छटे और सातवें हफ्ते में वाटर एरोबिक्स कर सकती है। पेटदर्द, वेजिनल ब्लीडिंग में व्यायाम ना करें।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”आठवें से पन्द्रहवें हफ्ते में” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]रोजाना 25 gm प्रोटीन का सेवन बढ़ा दे, हैल्थी चीज़े खाए जो पहले बताई गई है। ब्रोकली,भिंडी,दाल,पालक,एवाकाडो खाए।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”क्या ना खाएं?” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]वजन बढ़ाने,गैस्ट्रिक,ज्यादा मीठा,ज्यादा नमक ना खाएं।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”व्यायाम” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]पालथी मारे दिन में 5 बार 30 सेकंड तक,इससे प्रसव पीड़ा में कमी आएगी। पेट के बल ना झुकें।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”पन्द्रवे से अठारहवें हफ्ते तक” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_custom_heading text=”आहार” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]मछली,सोयापनीर,माँस ,अंडा,मीट ,चिकेन,बीन्स,टोफू खाए। अधपका माँस, कच्चा अंडा,पपीता,सी फूड,कुकीज,केक,डोनट्स,जैतून,कनोला,मक्का का तेल,नट,बीज और एवाकाडो का सेवन ना करे।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”व्यायाम” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]सुबह ताजी हवा में नंगे पांव घास पर चले।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”उन्नीनसवे से 24वे हफ्ते में” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_custom_heading text=”आहार” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]ओट्स,दलिया,सूखे,मेवे,ताजे फल,सब्जियां, इस समय विटामिन ए बहुत जरूरी होता है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”व्यायाम” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]कीगल एक्सरसाइज,मेडिसिन बॉल के साथ एक्सरसाइज[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”पच्चीसवें से तीसवें हफ्ते तक” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_custom_heading text=”आहार” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]विटामिन ए कम ले ,पिस्ता,अखरोट, काजू ना ले,केवल हैल्थी खाए[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”व्यायाम” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]पीठ के बल ना सोए[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”इक्कतीस वे से प्रसव तक” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]32वे हफ्ते में पेल्विक टिल्ट्स और पेल्विक रॉक्स एक्सरसाइज कीजिए। इसे दिन में 3 बार 20 मिनट के लिए करें।
36वे हफ्ते योग ,पायलट्स और कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज करें,टेलर एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग करे। मेडिटेशन करे। 40 वे हफ्ते में फारवर्ड लीनिंग इन्वर्सन एक्सरसाइज करें।
36वे हफ्ते में बच्चा पेल्विक कैविटी या बर्थ कैनाल में नीचे उतर आता है इससे अंदरूनी अंगों पर दबाव कम हो जाता है और सांस फूलने की दिक्कत कम हो जाती है।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]

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