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गर्भावस्था के दौरान खांसी के घरेलू उपचार-Khansi during pregnancy

गर्भावस्था के दौरान खांसी-Khansi during pregnancy

गर्भवती स्त्री 9 महीनों में बहुत सी शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती है। किसी किसी के लिए तो शुरुआत के कुछ महीने बहुत ही ज्यादा मुश्किल होते है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती स्त्री की इम्युनिटी पहले से कमजोर हो जाती है।

महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। ज़रा सा खानपान या मौसम के बदलाव से उन्हें संक्रमण घेर लेता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सर्दी-खांसी होना सबसे आम बात है। आज इस आर्टिकल में हम आपको गर्भावस्था में होने वाली खांसी, उसके लक्षण व घरेलू उपचार बताएंगे।

गर्भावस्था में खांसी के कारण

इम्युनिटी

दरअसल गर्भवती स्त्री का एस्ट्रोजन लेवल कम हो जाता है। डिफेन्स सिस्टम शिशु की रक्षा में लग जाता है और महिला की इम्युनिटी कम हो जाती है।

एलर्जी

इम्युनिटी कमजोर होने का सीधा परिणाम किसी भी एलर्जी की पकड़ में आसानी से आना। वायरस नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और सांस लेने में तकलीफ या सूखी खांसी पैदा कर सकते हैं।

अस्थमा

यदि गर्भवती स्त्री अस्थमा या दमे से पीड़ित है तो, खांसी होने के आसार ज्यादा होते है।

राइनाइटिस

यह एक गर्भावस्था से संबंधित कंडीशन है, राइनाइटिस से म्यूकस मेम्ब्रेनमें सूजन आती है। इससे खाँसी होती है।

छाती में जलन

गर्भावस्था के दौरान एसिड रिफ्लक्स या छाती में जलन आम बात है। इसके कारण खाँसी भी हो सकती है।

इनके अलावा किसी रसायन के कारण, धूम्रपान या प्रदूषण के कारण अथवा किसी दवाई के साइड इफ़ेक्ट से भी खांसी हो सकती है।

खांसी के लक्षण

  • घरघराहट और बंद नाक
  • जी मिचलाना
  • अनिद्रा और ठीक से नींद न होना
  • नाक से स्राव होना (नाक बहना)
  • बुखार
  • साइनस में दर्द होना
  • शरीर में दर्द और ठंड लगना
  • बलगम निकलना या सूखी खांसी होना
  • खाँसते-खाँसते उल्टी की इच्छा होना

गर्भावस्था में खांसी का कैसे करे उपचार-Pregnancy Me Khansi Ka Ilaj

खानपान पर गर्भावस्था में वैसे भी ध्यान देना होता है, ऐसे में अगर खांसी हो जाये तो निम्न बातों का खास ख्याल रखे।

  • जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ डेली डाइट में शामिल करें। ये इम्युनिटी बढ़ाएंगे।
  • पूरे दिन हाइड्रेटेड रहे और शरीर मे पानी की कमी न होने दे। इसके लिए नारियल पानी और नींबू पानी का सेवन भी करते रहे।
  • विटामिन ‘सी’ से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे किवी, टमाटर, संतरे, अंगूर, आदि को अपने आहार में शामिल करे। ये इम्युनिटी बढ़ाते है।
  • खांसी की तीव्रता को कम करने के लिए एक चुटकी काली मिर्च को नींबू के एक टुकड़े पर डालकर चूसें।
  • तुलसी के पत्तो को पीसकर शहद के साथ सेवन करें।
  • गर्म सूप, चाय और गर्म पानी में शहद मिलकर पीना भी एक अच्छा उपाय है।
  • डॉक्टर्स द्वारा सुझाये गए प्रोबायोटिक्स और प्रसवपूर्व विटामिन सप्लीमेंट लेते रहे।
  • एक्सपर्ट की देखरेख में व्यायाम जरूर करें।
  • 5-7 तुलसी एवं पुदीना के पत्तों को पानी में उबालकर सेवन करें। इससे खांसी ठीक हो जाती है।
  • एक चम्मच अदरक के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर चाटें। इससे खाँसी में आराम मिलता है।
  • सूखी खाँसी होने पर 3-4 चम्मच ताजा नारियल का दूध, आधा चम्मच खसखस और एक चम्मच शहद को मिलाकर सोने से पहले लेना चाहिए। पर ध्यान रहे कि खसखस ठंडा होता है। इसलिए सर्दियों में इस्तेमाल न करें।
  • पूरे दिन हल्का गुनगुना पानी पीते रहे, तेज गर्म पानी बिल्कुल न पीयें।
  • 5-7 बादाम लेकर रात भर पानी में भिगाकर सुबह पीस लें। इसमें एक चीनी और मक्खन मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी में लाभ मिलता है।
  • गर्भावस्था के दौरान सर्दी-खाँसी होने पर हल्दी वाला दूध बहुत लाभदायक होता है। गर्म दूध में आधा चुटकी हल्दी उबालकर ले।
  • अगर एसिड रिफ्लक्स से खांसी उठ रही है तो भारी भोजन न करें। हल्का सुपाच्य भोजन ले।
  • छाती पर लगाएं जाने वाले वेपर रब का इस्तेमाल करे, इससे आपको भरी हुई छाती में कुछ आराम मिलेगा।

खांसी से जुड़े कुछ प्रश्न

गर्भवती महिलाओं की खांसी कितने दिनों में ठीक हो जाती है?

यूं तो यह खुद ही ठीक हो जाती हैं, लेकिन अगर खांसी एक हफ्ते से ज्यादा रहे या इसकी तीव्रता बढ़ जाए तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।

क्या गर्भावस्था के दौरान खांसी में टीकाकरण किया जा सकता है?

बिल्कुल किया जा सकता है, ‘हेपेटाइटिस बी और ‘फ्लू के वैक्सीन’ दिए जा सकते है। यदि आप काली खांसी (व्हूपिंग कफ) का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको डॉक्टर द्वारा एक टीएडीपी टीका लगाया जा सकता है।

क्या सूखी खांसी गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित कर सकती है?

नहीं, क्योंकि भ्रूण प्लेसेंटा में सुरक्षित रहता है। लेकिन यदि आपको कोई भी दिक्कत लंबे समय तक रहती है तो बच्चे को मानसिक रूप से नुकसान हो सकता है।

एहतियात के तौर पर, स्वस्थ भोजन करें और नियमित जांच के लिए जाएं।

कब समझे कि स्थिति खतरनाक हैं?

इनमें से किसी भी स्थिति के आने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।

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