गर्भावस्था में थायराइड के दौरान कोन सी सावधानिया बरते-How To Control Thyroid In Pregnancy In Hindi

थायरॉयड महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं में से एक अति महत्वपूर्ण समस्या है । थायराइड गले का रोग है, जो हार्मोन के असंतुलन की वजह से होता है। यह बीमारी मेटाबॉलिज्म से जुड़ी हुई है ।गर्भावस्था के प्रथम 3 महीनों में महिला को थायराइड होने का खतरा ज्यादा होता है । इस कारण डॉक्टर सबसे पहले गर्भवती महिला को थायराइड जांच की सलाह देते हैं।

थायरॉयड  होता क्या है ?

मनुष्य के गले में एक ग्रंथि होती है जो थायराइड ग्रंथि कहलाती है। यह ग्रंथि हमारे शरीर की सबसे आवश्यक ग्रंथियों में से एक है। थायराइड ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म ,लीवर प्रणाली ,तापमान आदि का नियंत्रण करती है। सरल भाषा में इसे शरीर का सेंट्रल कंट्रोल कहा जाता है ।
थायरॉयड मुख्य मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं ।

  • हाइपोथायरायडिज्म -इस अवस्था में थायराइड ग्रंथि आवश्यकता से कम हार्मोन का निर्माण करती है ।
  • हायपरथायरायडिज्म -इस अवस्था में थायराइड ग्रंथि आवश्यकता से अधिक हार्मोन का निर्माण करने लगती है ।

गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए थायराइड हार्मोन बहुत जरूरी होता है ।थायराइड हार्मोन से ही शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र का विकास होता है। गर्भावस्था के पहले 3 महीने में शिशु को थायराइड हार्मोन गर्भनाल से मिलता रहता हैं । इसके बाद में शिशु के शरीर में धीरे-धीरे थायराइड ग्रंथि का विकास होता है और शरीर में थायराइड हार्मोन बनना शुरू हो जाता है ,लेकिन 18 से 20 हफ्ते तक पर्याप्त मात्रा में हारमोंस का निर्माण नहीं होता ।तब तक उसे थायराइड हार्मोन माता से प्राप्त होता है। इसी कारण शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के संपूर्ण विकास के लिए गर्भवती में थायराइड हार्मोन का संतुलन का होना अति आवश्यक है।

प्रेगनेंसी में थायराइड के लक्षण

किसी भी महिला को यदि प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड की समस्या होती है तो उसे निम्न लक्षण दिखाई देते हैं ।

  • थकान होना
  • असामान्य रूप से वजन का बढ़ना
  • नींद ना आना
  • मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना
  • सर दर्द होना
  • शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का बढ़ना
  • मिसकैरेज या कंसीव न कर पाना
  • शरीर और चेहरे पर सूजन
  • पेट में खराबी
  • शरीर में ऐठन महसूस करना

उपरोक्त में से किसी भी प्रकार के लक्षण पाए जाने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके टेस्ट कराने चाहिए ताकि थायराइड की समस्या का पता चल सके और समय पर इलाज करवाया जा सके ।

गर्भावस्था में थायराइड का निदान-how to control thyroid in pregnancy in hindi

गर्भावस्था में थायराइड की समस्या होने पर डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों से काफी हद तक इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है । परंतु दवाइयों के अलावा भी सामान्य दिनचर्या मैं परिवर्तन तथा आहार पर ध्यान देकर हम थायराइड को नियंत्रित कर सकते हैं ।

थायराइड की समस्या होने पर सबसे ज्यादा असर गर्भवती के वजन पर पड़ता है चूंकि यह बीमारी मेटाबॉलिज्म से संबंधित है इसलिए इसमें महिला का वजन बढ़ने लगता है । जिसे नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर की सलाह से प्रतिदिन हल्का फुल्का व्यायाम करना चाहिए। गर्भवती महिला को किसी प्रशिक्षित ट्रेनर के मार्गदर्शन में ही व्यायाम करना चाहिए ।

  •  यदि व्यायाम संभव नहीं है तो योग अथवा मेडिटेशन भी किया जा सकता है परंतु योगा या मेडिटेशन भी प्रशिक्षित व्यक्ति के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए ।
  • सुबह और शाम करीब आधा घंटा स्वच्छ हवा में पैदल चलना चाहिए ।
  • कोई समस्या नहीं है तो अपने रोजमर्रा के हल्के-फुल्के काम स्वयं करना चाहिए।
  • मानसिक तनाव के कारण भी शरीर में थायराइड हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है अतः गर्भवती महिला को मानसिक तनाव लेने से बचना चाहिए और अधिक से अधिक देने का प्रयास करना चाहिए ।

गर्भावस्था में थायराइड नियंत्रण के लिए आहार

सेलेनियम

मूंगफली, काजू, बादाम, सूरजमुखी के बीज आदि में पाया जाने वाला पदार्थ सेलेनियम शरीर में थायराइड हार्मोन की मात्रा को संतुलित रखने में अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होता है ।

आयोडीन

हाइपरथाइरॉयडिज़्म होने की स्थिति में आयोडीन का प्रयोग बहुत ही कम करना चाहिए तथा हाइपोथायरायडिज्म होने पर आयोडीन का प्रयोग प्रचुर मात्रा में करना आवश्यक होता है ।

सब्जियां एवं फल

हरी पत्तेदार सब्जियां गोभी फूल गोभी शलजम आदि का सेवन करना चाहिए ।सभी प्रकार के मौसमी फलों जैसे खरबूजा, तरबूज , सेब ब्लूबेरी गाजर आदि का सेवन करना चाहिए ।

तेल

थायराइड के दौरान महिला का वजन अधिक बढ़ जाता है इस कारण भोजन पकाने के लिए जैतून, कैनोला, सोया और कुसुम तेल का प्रयोग करने से वजन नियंत्रित रहता है ।

दूध और अंडे

दूध और अंडे में विटामिन b12 की मात्रा पर्याप्त रूप में पाई जाती है साथ ही दूध को कैल्शियम का मुख्य स्रोत भी माना जाता है इसलिए हाइपोथायरायडिज्म की समस्या होने पर दिन में कम से कम एक या दो बार दूध का सेवन करना चाहिए ।

ओमेगा 3 फैटी एसिड

ओमेगा 3 फैटी एसिड से थायराइड ग्रंथि में आई सूजन में राहत मिलती है, यह मुख्य रूप से अखरोट और मछली में पाया जाता है ।

वैसे ऊपर बताई गई सभी चीज है थायराइड नियंत्रण में अति लाभदायक है परंतु फिर भी गर्भवती महिला को डॉक्टर से परामर्श लेकर हाइपोथायरायडिज्म अथवा हायपरथायरायडिज्म के अनुसार ही भोजन का चुनाव करना चाहिए। साथ ही तले ,भुने एवम् मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए । इसके अलावा जंग फूड का सेवन नहीं करना चाहिए और साथ ही धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए ।

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