एक ही गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के पैदा होने वाले दो बच्चों को जुड़वा कहते हैं। कभी -कभी जुड़वा बच्चों में रूप-रंग की काफी समानताऐ दिखाई देती है।पर कभी कभी जुड़वा बच्चे अलग-अलग रुप रंग के भी होते हैं क्योंकि वे दो अलग अलग अंडो में दो भिन्न-भिन्न शुक्राणुओं द्वारा निषेचित होते हैं। जुड़वां गर्भवस्था सामान्य गर्भवस्था से काफी अलग होता है।
जुड़वा गर्भवस्था के लक्षण
मॉर्निंग सिकनेस
जुड़वा गर्भावस्था के दौरान महिला को सुबह के समय ज्यादा सिक्नेस होती है। गर्भावस्था के शुरूआती चरण में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं को जी मिचलाना जैसी समस्या होती है। जिन महिलाओं के गर्भ में जुड़वा बच्चे होते हैं उन्हें बाकी गर्भवती महिलाओं की तुलना में ज्यादा थकान होती है।
वजन बढ़ना
गर्भावस्था में वजन बढ़ना सामान्य होता है।लेकिन सामान्य गर्भावस्था के तुलना मे जुड़वा गर्भावस्था मे महिला का वजन ज्यादा बढता है। अगर किसी महिला का वजन गर्भावस्था मे तेजी से बढता है तो जुड़वा बच्चे का संकेत हो सकता है। गर्भावस्था में महिला का सामान्य वजन 25 पाउंड होता है, जबकि जुड़वा बच्चे होने की स्थिति में वजन 30 से 35 पाउंड हो जाता है।
ज्यादा भूख लगना
जुड़वा गर्भावस्था मे महिला को ज्यादा भूख लगती है। इसलिए अगर आपको ऐसा कुछ लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करके प्रॉपर डाइट लें।
पेट में दर्द
अगर गर्भवती महिला को सामान्य से ज्यादा पेट में दर्द रहने लगता है, तो यह दर्द शरीर के अधिक वजन के कारण हो सकता है। ऐसे में यह निशानी भी जुड़वा बच्चे की हो सकती है।
ब्लीडिंग और स्पोटिंग
जुड़वा गर्भावस्था मे रक्तस्राव अधिक होता है अगर रक्तस्राव के समय बुखार और खून के धब्बे दिखाई दे तो घबराने की कोई बात नही ये जुड़वा बच्चे होने के लक्षण होते है।
अब तक हमने जुड़वा गर्भावस्था के लक्षण की बात की अब हम जुड़वा गर्भावस्था मे क्या सावधानी बरतनी चाहिऐ। आईये देखते है।
जुड़वा गर्भावस्था मे सावधानी
जुड़वां गर्भावस्था सामान्य गर्भावस्था से अधिक जटिलताऐ होती है। जुड़वा गर्भावस्था मे महिला को अपना दोगुना ख्याल रखना पड़ता है।
भारी वजन न उठाये-
जुड़वा गर्भावस्था मे महिला को भारी वजन नही उठाना चाहिए । क्योकि भारी वजन उठाने से आपके पेट पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण महिला के पेट मे दर्द या बच्चा नीचे आने की संभावना बढ जाती है।
खान-पान का ध्यान-
आहार का ध्यान जुड़वा गर्भावस्था मे बहुत जरुरी होता है, क्योकि गर्भ मे बच्चे का विकास महिला के द्वारा लिऐ गए मिनरल्स से होता है। महिला को अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना चाहिए । क्योकि एक स्वस्थ माँ के गर्भ मे स्वस्थ बच्चा निवास करता है। इसलिए को अपने बच्चे और अपने स्वास्थ्य के लिए संतुलित, पौष्टिक व सभी मिनरल्स से भरपूर आहार लेना चाहिए।
पेट के बल कोई काम ना करे-
जुड़वा गर्भावस्था मे महिला को पेट के भार कोई काम नही करना चाहिए। क्योकि जुड़वा बच्चों के कारण पेट पर दबाव पड़ने से ज्यादा परेशानी हो सकती है। महिला को पैरो के भार पर भी ज्यादा देर तक नही बैठना चाहिए। क्योकि इससे पेट मे खिचाव होता है।और ज्यादा सीढिया चढने से परहेज करना चाहिए।
डॉक्टर से लगातार कराऐ जाँच-
जुड़वा गर्भावस्था मे बच्चो की स्थिति को जानने के लिए समय समय पर जाँच करवानी चाहिए। क्योकि ऐसे मे कॉम्पिलीकेशन्स ज्यादा होती है।इसके अलावा महिला के पेट दर्द ब्लीडिंग या ज्यादा उल्टी होने की समस्या को नजरअंदाज नही करना चाहिए।
डेरी उत्पाद का सेवन-
जुड़वा गर्भावस्था मे आप ज्यादा मात्रा कैल्शियम व प्रोटीन का सेवन करे, जिससे बच्चो की हड्डियाँ मजबूत हो, इसके लिए आपको दूध, पनीर जैसे डेरी उत्पाद का सेवन करना चाहिए।
सेक्स करने मे रखे परहेज-
जुड़वा गर्भावस्था मे डॉक्टर सेक्स करने की सलाह नही देते है, क्योकि सेक्स करने से गर्भाशय से टकराव होने का खतरा रहता है। साथ ही दो बच्चो के होने कारण गर्भाशय की थैली बड़ी भी हो जाती है। इसलिए सेक्स करने से बचे या सेक्स करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।