क्या प्रेगनेंसी में पीरियड्स होते है?-Kya Pregnancy Me Periods Aate Hai

पीरियड्स महिलाओं में होने वाली एक अत्यंत सामान्य प्रक्रिया है। पीरियड्स महीने में एक बार आने वाली प्रक्रिया है। पीरियड्स का चक्र सामान्य तौर पर 28 से 35 दिनों का होता है। महिला जब तक गर्भवती नहीं होती तब तक यह प्रक्रिया रजोनिवृत्ति होने तक हर महीने होती है। कहने का मतलब यह है की 28 से 35 दिनों के अंतराल में नियमित तौर पर पीरियड्स होते हैं। महावारी केवल कब तक होती है जब तक महिला गर्भधारण नहीं करती। क्या प्रेगनेंसी में पीरियड्स होते है ?

हर महीने गर्भाशय अंडे के प्रत्यारोपण के लिए रक्त का एक मोटा स्तर बनाता है अगर महिला गर्भवती नहीं होती या सरल शब्दों में कहे तो अंडे को निषेचन के लिए जब शुक्राणु नहीं मिलते तो यह मोटी सर रक्त के रूप में योनि मार्ग से बाहर निकल जाती है जिससे मासिक धर्म या पीरियड्स कहते हैं।

परंतु अगर अगर अंडा गर्भाशय के अस्तर में आरोपित हो जाता है तो हार्मोन में परिवर्तन के रूप रक्त समृद्ध उत्तकों सक्रिय होकर  बच्चे के विकास के लिए इस रक्त का प्रयोग करते हैं और इस वजह से प्रेगनेंसी में पीरियड बंद हो जाते हैं और यह तभी शुरू होते हैं जब गर्भावस्था पूरी हो जाती है।यह बात पूर्णता सत्य है की प्रेगनेंसी के दौरान महावारी या पीरियड्स नहीं आते परंतु कुछ मामलों 7000 महिलाओं में से एक ही ऐसी होती है जिसे पीरियड्स के दौरान भी प्रेगनेंसी हो जाती है।

क्या प्रेगनेंसी में पीरियड्स होते है?-Kya Pregnancy Me Periods Aate Hai

आइए जानते हैं कि वह कौन सी परिस्थितियां होती है जब किसी महिला के साथ ऐसा होता है-

एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा कम होने पर ब्लीडिंग होती रहती है बिल्डिंग की वजह से प्रेगनेंसी होने के बावजूद भी गर्भवती को लगता है कि उसकी पीरियड चल रहे हैं यही वजह होती है कि गर्भावस्था और महावारी में अंतर करना मुश्किल हो जाता है।

गर्भाशय के दोनों हिस्सों में से एक हिस्से में गर्भ ठहरने और दूसरे हिस्से में महावारी होने के कारण

कभी-कभी यूट्रस यानी गर्भाशय के दोनों हिस्सों में से एक हिस्से में गर्भ ठहरने और दूसरे हिस्से में महावारी होने के कारण भी गर्भावस्था के दौरान महावारी की उत्पन्न हो जाती है।इस तरह की प्रेगनेंसी हजारों में से एक को मिलती है वैज्ञानिक अभी भी स्थिति की जांच कर रहे हैं।

प्लेसेंटा

समान्य महिला की महावारी नियमित रहती है और इस बार उसमें देरी हो रही है तो हो सकता है कि वह गर्भवती हो। शुरुआती अवस्था में हल्का रक्त स्त्राव या स्पॉटिंग होना सामान्य बात है ऐसा अपरा विकसित होने के कारण होता है क्योंकि उस वक्त यह शिशु के लिए जरूरी पोषण प्रदान करना शुरु करती है।

6 सप्ताह तक की गर्भवती महिला की प्लेसेंटा शिशु को पोषण प्रदान करने के लिए तैयार हो जाती है सभी अपने इस प्लेसेंटा शिशु की जीवन रेखा का काम संभालती है उस दौरान हल्का रक्त स्त्राव होता है। यदि लक्षण व कारण यही है तो शायद 3 दिन में या बंद हो जाता है और गर्भावस्था विकसित होना जारी रहती है।

मगर यह जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान रक्त स्त्राव बंद भी हो गया हो तब भी गायनकोलॉजिस्ट से मिल लिया जाए हालांकि गर्भावस्था के शुरुआत में खून के धब्बे आना आम बात है परंतु जांच करवा लेना आवश्यक है कि कहीं कोई अन्य गंभीर समस्या तो नहीं है।परंतु इस अनिश्चितता की स्थिति से बचने के लिए तथा संदेह को दूर करने की का सबसे शीघ्र तरीका है घर पर ही गर्भावस्था की जांच करना ।

एचसीजी हार्मोन

गर्भावस्था की जांच में सीजी की उपस्थिति का पता लगाया जाता है। एचसीजी हार्मोन है इसका उत्पादन निश्चित डिंब के गर्भ में प्रत्यारोपित होने पर शुरू होता है। यदि किसी महिला के शरीर में एचसीजी का स्तर सामान्य से ज्यादा है तो प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आएगा और इसका मतलब यह है कि महिला गर्भवती है।

अगर जांच परिणाम नेगेटिव है मगर महावारी अभी तक नहीं आई है तो कुछ दिनों बाद फिर से गर्भावस्था का परीक्षण करना चाहिए।

गर्भावस्था की शुरुआत में  गर्भपात

रतलाम के साथ-साथ यदि किसी महिला के पेट में दर्द भी हो रहा हो तो यह भी गर्भावस्था के शुरुआती चरण में ही गर्भपात हो जाने का संकेत हो सकता है। गर्भावस्था की शुरुआत में  गर्भपात होना काफी आम बात है। आधे से अधिक निषेचित गर्भावस्था के दम शुरुआती दिनों में ही लुप्त हो जाते हैं कई बार महिला को अपने गर्भवती होने का भी पता नहीं चलता और गर्भपात हो जाता है जिसे वह महावारी आना समझ लेती है।

गर्भावस्था के दौरान यदि थोड़ी मात्रा में रक्तस्राव हो रहा है तो यह कोई खतरे की बात नहीं है परंतु यदि रक्त स्त्राव काफी अधिक मात्रा में हो रहा है तो यह गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरा हो सकता है अतः गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिस कारण रक्त स्त्राव की स्थिति उत्पन्न ना हो।

गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां

  •  गर्भवती स्त्री को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।
  •  गर्भावस्था के दौरान संभोग करने से बचना चाहिए जिससे ब्लीडिंग की समस्या नहीं होगी।
  • गर्भावस्था के समय भारी वस्तुओं को नहीं उठाना चाहिए और कोई भी अत्यधिक श्रम वाला काम नहीं करना चाहिए।
  •  पोषक तत्व से भरे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में रक्त की कमी ना हो।
  •  डिलीवरी के बाद 3 महीने तक पीरियड नहीं आए तब भी घबराना नहीं चाहिए अगर 5-6 महीने से अधिक समय तक शुरू नहीं होते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है यदि किसी भी प्रकार का ब्लीडिंग योनि मार्ग से हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने में देरी नहीं करनी चाहिए।

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