हर गर्भवती महिला इस बात को लेकर चिंतित रहती है कि उसकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या सिजेरियन। अधिकतर मामलों में डॉक्टर भी नॉर्मल डिलीवरी कराने की ही सलाह देते हैं। नॉर्मल डिलीवरी के दौरान अधिक दर्द होने के कारण आजकल कई महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुनती है । आइए जानते हैं नॉर्मल डिलीवरी क्या है ?
नॉर्मल डिलीवरी
नॉर्मल डिलीवरी प्रसव की वह प्रक्रिया है जिसमें शिशु महिला के योनि मार्ग से जन्म लेता है। गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की समस्या ना होने पर गर्भवती महिला की नॉर्मल डिलीवरी हो जाती है परंतु यदि किसी प्रकार की मेडिकल समस्या हो तो ऐसी स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी कराना आवश्यक हो जाता है।
नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण
कुछ खास लक्षण और संकेतों के आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि महिला डिलीवरी नॉर्मल होगी अथवा नहीं ।
वे लक्षण इस प्रकार है –
- यदि गर्भवती महिला को चलने फिरने में परेशानी महसूस होने लगे तो यह नॉर्मल डिलीवरी का संकेत हो सकता है क्योंकि जब भ्रूण नीचे की ओर आता है तो गर्भवती महिला की योनि पर दबाव पड़ता है और उसे चलने फिरने में परेशानी महसूस होती है ।
- गर्भावस्था के अंतिम चरण में यदि महिला को पतले मल की शिकायत हो रही है तो नार्मल डिलीवरी हो सकती है क्योंकि डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला के गुदाद्वार की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती है इस कारणों से पतले मल की शिकायत हो जाती है ।
- भ्रूण का सिर जब गर्भवती महिला की योनि पर दबाव बनाता है तो उसे बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है यह भी भ्रूण के नीचे आने का एक लक्षण हो सकता है और ऐसी स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावनाएं बढ़ती है।
- गर्भावस्था के 34 वें सप्ताह से 36 वें सप्ताह के बीच यदि भ्रूण का सिर नीचे की ओर आ जाए तो यह नॉर्मल डिलीवरी होने का संकेत होता है ।
नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बनाने वाले कारक
कुछ ऐसे कारक होते हैं जिनके कारण नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है –
- यदि गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु का वजन सामान्य हो ।
- गर्भवती महिला पूर्णतया स्वस्थ हो और उसे किसी भी प्रकार की बीमारी जैसे अस्थमा आदि ना हो ।
- अगर गर्भवती महिला की पहली डिलीवरी नॉर्मल हुई हो ।
- गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर ब्लड शुगर और हीमोग्लोबिन सामान्य हो ।
- पूरी गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला शारीरिक रूप से सक्रिय रहे ।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए टिप्स-9th month pregnancy tips for normal delivery in hindi
गर्भावस्था का अंतिम चरण नॉर्मल डिलीवरी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है । इस दौरान कुछ टिप्स अपनाकर नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है । आइए जानते हैं कि कौन-कौन से हैं ?
वजन नियंत्रित रखना
सामान्यतया गर्भवती महिलाओं की समस्या होती है कि गर्भावस्था के दौरान उनका वजन बढ़ जाता है इस कारण शिशु को बाहर आने में कठिनाई होती है और सिजेरियन डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है । ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान अपना वजन नियंत्रित रखने का पूरा प्रयास करना चाहिए ।
प्रसव के बारे में सही जानकारी लेना
अधिकांशत महिलाएं जब प्रसव के बारे में बात करती हैं तो कई बार दूसरी महिलाओं द्वारा अधूरी जानकारी देने के कारण प्रसव को लेकर उनके मन में डर बैठ जाता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को हमेशा अनुभवी महिलाओं अथवा डॉक्टर से प्रसव के बारे में सही जानकारी लेनी चाहिए जिससे उसे इस प्रक्रिया को समझने में मदद मिले और वह प्रसव के लिए मानसिक रूप से तैयार रह सके ।
सकारात्मक विचार रखना
विचारों का हमारे स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है खासकर गर्भावस्था के दौरान । ऐसे समय में महिला को नकारात्मक बातों से दूर रहना चाहिए और सकारात्मक सोच के साथ खुद को एक स्वास्थ्य प्रसव हेतु तैयार करना चाहिए ।
परिवार के साथ रहना
परिवार का साथ हमेशा महिला को भावनात्मक रूप से संबल प्रदान करता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान कोशिश करनी चाहिए कि महिला अपनों के साथ रहे ।
तनाव से दूर रहे
तनाव हमारे स्वास्थ्य का सबसे बड़ा शत्रु है इसलिए गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए । अच्छे विचारों को मन में लाने के लिए अच्छा संगीत सुनना चाहिए, सकारात्मक सोच से परिपूर्ण किताबें पढ़नी चाहिए और मेडिटेशन करना चाहिए ।
सही डॉक्टर का चुनाव
गर्भावस्था के दौरान सही डॉक्टर का चुनाव अति आवश्यक है इसलिए डॉक्टर का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए । नॉर्मल डिलीवरी के लिए हमेशा ऐसे डॉक्टर का चुनाव करना जरूरी है जो महिला के शरीर की स्थिति के बारे में समय-समय पर सही जानकारी देता रहे और नॉर्मल डिलीवरी कराने की कोशिश करे ।
उठने बैठने के सही तरीके का ध्यान रखें
गर्भावस्था के दौरान महिला के उठने बैठने और लेटने की स्थिति गर्भ में पल रहे शिशु पर प्रभाव डालती है अतः उठते बैठते और सोते समय महिला को हमेशा शरीर को सही स्थिति में रखने की कोशिश करते रहना चाहिए । बैठते वक्त हमेशा पीठ को सहारा देकर बैठना चाहिए और उठते वक्त भी झटके से नहीं उठना चाहिए।
शरीर को हाइड्रेट रखना
गर्भवती महिला को हमेशा स्वयं को हाइड्रेटेड रखना चाहिए और इसके लिए उसे पानी तथा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए । लेबर पेन के दौरान महिला के शरीर में पानी की कमी होने लगती है ऐसे में उसे थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए ।
हल्का-फुल्का व्यायाम करें
गर्भावस्था के दौरान हल्का-फुल्का व्यायाम और टहलना सामान्य डिलीवरी की संभावना को बढ़ाता है । व्यायाम हमेशा विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए । रोजमर्रा के घर के काम भी करते रहना चाहिए ।
मदद के लिए अनुभवी दाई रखना
अनुभवी दाइयों के पास नॉर्मल डिलीवरी कराने का अच्छा अनुभव होता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को अनुभवी दाई रखने की सलाह दी जाती । दाई रखने से पूर्व यह जान लेना चाहिए कि दाई अनुभवी हो ।
उपरोक्त उपायों को अपनाकर नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है ।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या खाएं
इसके अलावा भोजन भी नॉर्मल डिलीवरी करवाने में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है आइए जानते हैं नॉर्मल डिलीवरी की इच्छा रखने वाले महिलाओं को अपने भोजन में किन-किन चीजों को शामिल करना चाहिए ?
गर्भावस्था का नौवा महीना बाकी महीनों की तुलना में अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है इस समय गर्भवती महिला यदि अपने आहार में कुछ खास चीजों को शामिल करें नॉर्मल डिलीवरी में मदद मिलती है । गर्भावस्था के अंतिम समय में बच्चे का विकास हो चुका होता है इस कारण महिला को पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं ऐसी स्थिति उसे रेशेदार और पाचक खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो इस प्रकार हैं –
अदरक और लहसुन
अदरक और लहसुन का सेवन सामान्य प्रसव की संभावनाओं को बढ़ाता है। अदरक की चाय का सेवन करने और सुबह खाली पेट लहसुन की कलियों का सेवन करने से बीमारियां दूर रहती हैं और सर्विक्स खुलने में भी मदद मिलती है ।
हल्दी
हल्दी में दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं यदि गर्भवती महिला को कमर के निचले हिस्से में और कूल्हों में दर्द की समस्या है तो उसे दूध में हल्दी मिलाकर पीना चाहिए । क्योंकि हल्दी की प्रकृति गरम होती है इसलिए हल्दी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए ।
गुनगुना पानी
गर्भावस्था के दौरान गुनगुना पानी पीना चाहिए इससे मांसपेशियों का तनाव दूर होता है और सामान्य प्रसव में मदद मिलती है । सामान्य प्रसव हो इसके लिए गर्भावस्था के अंतिम चरण में हल्की गर्म चीजें ही खानी चाहिए क्योंकि ठंडी चीजें खाने के कारण मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और सिजेरियन प्रसव होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
दूध के साथ घी का सेवन
ऐसा माना जाता है कि नौवें महीने में दूध में घी डालकर पीने से बच्चेदानी और गर्भाशय चिकना होता है जिससे नॉर्मल डिलीवरी में मदद मिलती है । यदि आपका वजन अधिक है और आपको ब्लड प्रेशर की संभवत समस्या है तो दूध में घी पीने से बचना चाहिए अथवा डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करना चाहिए ।
इन सबके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियों ,दालों और प्रोटीन युक्त भोजन द्वारा महिला के सामान्य डिलीवरी की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है अतः कि यदि महिला को किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या है तो उसे कोई भी खाद्य पदार्थ लेने अथवा व्यायाम करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ।