“गर्भावस्था मे रक्तस्राव” को नजरअंदाज ना करे। गर्भवती महिलाओं में से करीब एक तिहाई में ऐसा होता है। कि थोड़ा गर्भावस्था मे रक्तस्राव होता है। या खून के धब्बे दिखाई देते है पर इसका मतलब हमेशा गर्भपात नही होता है। वैस गर्भावस्था में रक्तस्राव का माता और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता है। पर गर्भावस्था मे रक्तस्त्राव को कभी नज़र अंदाज नहीं करना चाहिए।
यह कई समस्याओं का संकेत हो सकता है। जैसे गर्भपात, एक्टोपिक गर्भवस्था, प्लेटसेटल एबरप्शन या पलेटसेंटा प्रीविया। गर्भावस्था मे रक्तस्राव की कुछ सामान्य वजहें होती है। गर्भवती महिलाओं में से करीब बीस फीसदी को गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान योनी रक्तस्त्राव हो सकता है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”पहली तिमाही मे रक्तस्राव एक गंभीर समस्या” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_custom_heading text=”प्रत्यारोपण रक्तस्राव ( इंप्लांटेशन ब्लीडिंग)” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]गर्भावस्था की शुरूआती चरण में जब निषेचित अंडा आपके गर्भ मे प्रत्यारोपित होता है, तो इस तरह का रक्तस्राव हो सकता है।”चूंकि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग गर्भावस्था की बिल्कुल शुरूआत में होती है और इसलिए अक्सर इसे हल्के पीरियड के तौर पर भी देखा जा सकता है। इसके कारण भी गर्भाशय मे रक्तस्राव होता है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”गर्भपात( मिसकैरिज)” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]शारीरिक चोट, मुत्रमार्ग या गर्भाशय मे संक्रमण आदि की वजह से हो सकता है।अगर ऐसा होता है तो गर्भाशय मे रक्तस्राव होता है। आमतौर पर मासिक धर्म का नियंत्रण करने वाले हॉर्मोन की वजह से भी गर्भावस्था की शुरूआत में ब्लीडिंग हो सकती है।अक्सर गर्भावस्था के शुरुआत मे गर्भपात तब हो जाता है जब भ्रूण सही ढंग से विकास ना कर रहा हो।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”योनी मे संक्रमण(वैजाइना इनफेक्शन)” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]सर्विक्स, योनि या यौन संक्रमण की वजह से भी गर्भावस्था की पहली तिमाही में रक्तस्राव हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले संक्रमणों का डॉक्टर की सलाह से जल्दी इलाज कराएं।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”यौन संबंध” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]गर्भावस्था के दौरान सर्विक्स में अतिरिक्त रक्त का प्रवाह होता है। गर्भावस्था के दौरान निकलने वाले हॉर्मोन सर्विक्स की सतह में बदलाव कर देते हैं, जिससे घर्षण जैसे यौन संबंध बनाने के बाद इसमें रक्तस्राव की आशंका बढ़ जाती है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”फाइब्रॉइड्स” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]कई बार प्लेसेंटा गर्भाशय में ऐसी जगह जुड़ जाता है, जहां उसकी लाइनिंग में फाइब्रॉइड या कोई और विकास हो, इस वजह से भी कई बार रक्तस्राव हो जाता है। लेकिन इससे गर्भ में पल रहे शिशु को कोई नुकसान नहीं होता है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”एक्टोपिक गर्भावस्था” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]एक्टोपिक गर्भावस्था में फर्टिलाइज़्ड भ्रूण गर्भाशय के बाहर इंप्लांट हो जाता है आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में। अगर भ्रूण वहां विकसित होता रहा तो फैलोपियन ट्यूब फट सकती है,यह गर्भावस्था के पहले तिहाई मे होता है।जो माता के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”मोलर गर्भावस्था” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]मोलर गर्भावस्था एक दुर्लभ स्थिति होती है, जिसमें आसामान्य कोशिकाएं भ्रूण के बजाय गर्भाशय में विकसित होने लगती हैं। ऐसा तब होता है, जब भ्रूण सही ढंग से विकसित नहीं हो रहा हो लेकिन गर्भाशय की कुछ कोशिकाएं बढ़ने और गुणा होने लगती हैं। दुर्लभ मामलों में कोशिका कैंसरयुक्त हो सकती है। जिसकी वजह से भी रक्तस्राव होता है।और वो कोशिकाऐ शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकती है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”केमिकल गर्भावस्था” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]जब अंडा फर्टिलाइज़्ड हो लेकिन पूरी तरह गर्भाशय में इंप्लांट नहीं हुआ हो तो इससे केमिकल गर्भावस्था कहा जाता है। गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन स्तर की जांच से इसका पता लगाया जा सकता है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”दूसरी तिमाही मे रक्तस्राव एक गंभीर समस्या” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]गर्भावस्था की आधी अवधि अवधि पूरी होने पर एक्टोपिक गर्भावस्था और केमिकल गर्भावस्था जैसी जटिलताएं होने की आशंका नहीं होती है। गर्भावस्था की पहली तिमाही पूरी होने के बाद गर्भपात का जोखिम बहुत कम हो जाता है। हालांकि दूसरी तिमाही में ब्लीडिंग हो तो इसे बहुत गंभीरता से देखना चाहिए।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”प्रसव की शुरूआत” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]आमतौर पर प्रसव की शुरूआत योनि से रक्त और म्यूकस निकलने के साथ होती है। इस डिस्चार्ज को ’ब्लडी शो’ कहते हैं और यह तब होता है, जब सर्विक्स फैलना शुरू करता है और कुछ छोटी नसें फट जाती हैं। इस डिस्चार्ज में रक्त की मात्रा बहुत कम होती है। गर्भावस्था के अंतिम दौर में ब्लीडिंग का मतलब प्रसव की शुरूआत होती है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”प्लेसेंटल एबरप्शन” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]प्लेसेंटल एबरप्शन बहुत गंभीर स्थिति होती है, जिसमें प्लेसेंटा गर्भाशय से अलग हो जाता है और प्लेसेंटा व गर्भाशय के बीच रक्त इकट्ठा हो जाता है। यह स्थिति माता व शिशु दोनों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”प्लेसेंटा प्रीविया” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]यह स्थिति तब होती है, जब प्लेसेंटा गर्भाशय में थोड़ा नीचे रहता है और आंशिक या पूरी तरह से बर्थ कैनाल का मुंह बंद कर देता है। प्लेसेंटा प्रीविया में बिना किसी चेतावनी के गर्भावस्था मे रक्तस्राव शुरू हो सकता है या फिर ऐसा तब हो सकता है, जब कोई चिकित्सक यह जांच कर रहा हो कि सर्विक्स फैल रहा है या नहीं।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”गर्भाशय का फटना” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]दुर्लभ मामलों में ही ऐसा होता है, कि गर्भावस्था के दौरान पुराना सिज़ेरियन सेक्शन फिर खुल जाए।और बच्चा पेट की तरफ खिसक जाता है। गर्भाशय का फटना माता के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। जिसकी वजह से गर्भावस्था मे रक्तस्राव होता है।[/vc_column_text][vc_custom_heading text=”वासा प्रीविया” font_container=”tag:h3|text_align:left|color:%234082c6″][vc_column_text]इस बेहद दुर्लभ परिस्थिति में गर्भ में पल रहे शिशु की रक्त धमनियां अंब्लिकल कॉर्ड या प्लेसेंटा से निकलकर बर्थ कैनाल के मुंह से बाहर आ जाती है। जब प्रसव शुरू होता है तो ये छोटी-छोटी रक्त धमनियां फट सकती हैं, जिससे भ्रूण तक रक्त प्रवाह नहीं हो पाता है। वासा प्रीविया की स्थिति शिशु के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है क्योंकि इसमें शिशु का काफी रक्त बह सकता है और उसे ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]