गर्भावस्था एक ऐसी अवस्था जो बहुत सी भावनाओं से जुड़ी होती है। खुशी, असमंजस, दिक्कते, जाने क्या क्या चीज़ों से होकर एक मां गुजरती है।
गर्भावस्था का हर महीना केवल गर्भवती स्त्री ही नही बल्कि पूरा परिवार यही सोचता है कि क्या खाना चाहिए, क्या करना चाहिए। इसलिए आज इस आर्टिकल में गर्भावस्था का पाँचवा महीना के बारे में विस्तार से बताएंगे।
गर्भावस्था का पाँचवा महीना-लक्षण
- चक्कर आना
- लगातार थकान महसूस होनापी
- दर्द होना
- सिर दर्द होना
- नाखून कमजोर पड़ना
- मसूड़ों से खून आना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- योनि से सफेद पानी आना
- भूलने की समस्या
- टखनों में सूजन आना और पैरों में दर्द होना
- गैस व कब्ज रहना
- नाक से खून आना
ये लक्षण गर्भावस्था के लगभग सारे महीनों में दिखते है लेकिन पांचवे महीने में इनकी तीव्रता बढ़ जाती है।
गर्भावस्था का पाँचवा महीना-शारीरिक बदलाव
- गर्भ में शिशु या कहे कि भ्रूण का आकार बढ़ने लगता है। जिस कारण पांचवे महीने में गर्भवती का पेट यानी बेबी बंप दिखने लगता है। जिस कारण गर्भवती स्त्री का पोस्चर भी बदल जाता है।
- क्योंकि पेट का आकार बढ़ रहा होता है, तो पेट की स्किन और लीगमेंट्स भी स्ट्रेच होते है। और इसी कारण स्ट्रेच मार्क्स दिखने लगते है। खिंचाव के इन निशानों को कम करने करने के हल्के हाथों से किसी क्रीम या तेल की मसाज करें।
- गर्भावस्था का पाँचवा महीना में शरीर का तापमान भी नॉर्मल से ज्यादा होता है, खासकर गर्भवती स्त्री को अपनी हथेलियां बहुत ही गर्म महसूस होती है। किसी किसी महिला को अपने हाथों पर लाल लकीरे भी दिखाई देती है।
- गर्भवती स्त्री को डॉक्टर के द्वारा बहुत सारे मल्टीविटामिन और मिनरल सजेस्ट किये जाते है। इसलिए इन सब का असर गर्भवती स्त्री के बालों पर भी दिखाई देता है। ऐसे में बाल लंबे और भारी हो जाते है।
- पांचवे महीने में गर्भवती महिला को पहले की तुलना में ज्यादा भूख लग सकती है। लेकिन प्रत्येक महिला की स्थिति अलग होती है। कोई ज्यादा खाती है तो किसी किसी को उल्टियां कुछ खाने नही देती।
गर्भावस्था का पाँचवा महीना-शिशु( भ्रूण) का विकास
- इस महीने के अंत मे गर्भ में बच्चे का आकार लगभग साढ़े 6 इंच और वजन लगभग 226ग्राम होता है।
- पांचवें महीने में बच्चे की स्किन पर ब्लड वेसल्स दिखने लगती है।
- बोन्स और मसल्स विकसित हो जाती है।
- अब आपका शिशु गर्भ में अंगड़ाइयां और जम्हाइयां ले रहा होगा।
- बच्चे अगर लड़का है तो उसमें टेस्टिकल्स डवलप हो चुके होंगे और यदि लड़की है तो यूटरस डवलप हो चुका होगा।
- निप्पल, फिंगर प्रिंट और दांतो की रूपरेखा दिखने लगती है।
गर्भावस्था का पाँचवा महीना-आहार
- बॉडी को ज्यादा से ज्यादा हाइड्रेट रखें ताकि शिशु को पोषण अच्छे से मिले।
- इस समय कम से कम 21gm प्रोटीन की जरूरत होती है तो बहुत जरूरी है कि गर्भवती स्त्री प्रोटीन का सेवन अच्छे से करे। इसके लिए दालें, पनीर, सोयाबीन व अंडा आदि का सेवन करें।
- फाइबर को बिल्कुल नजरअंदाज न करें, क्योंकि कब्ज की समस्या इस समय पर बहुत ज्यादा होती है। इसलिए गर्भवती स्त्री को गाजर, टमाटर, खीरा, फ्रूट्, मोटा अनाज को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
- आयरन इस समय पर बहुत जरूरी होता है ऐसे में अपने नन्हे शिशु के लिए पालक, ब्रोकली, चुकंदर, भुने चने जरूर खाए।
क्या न खाएं
- फास्टफूड, मसालेदार, गैस्ट्रिक चीज़े, मैदा, कोल्डड्रिंक, से दूर रहे।
- कैफीन जैसे कि चाय, कॉफी, कम से कम ले और एल्कोहल बिल्कुल अवॉयड करें।
- अनार, पपीता, अनानास, कच्चा अंडा व कच्चा मांस न खाए।
गर्भावस्था का पाँचवा महीना-योग, प्राणायाम व एक्सरसाइज
पांचवे महीने में ही नही प्रत्येक महीने में कुछ भी व्यायाम करने से पहले डॉक्टर से सलाह मशवरा जरूर करें।
एक स्वस्थ गर्भवती स्त्री निम्नलिखित आसन कर सकती है।
- तितली आसन
- पर्वतासन
- सुखासन
- वक्रासन
- उत्कटासन
कोशिश करे कि इन सभी आसनों को योग विशेषज्ञ की देखरेख में करें।
गर्भावस्था का पाँचवा महीना-रखे ये सावधानियां
- गर्भावस्था में होने वाले रैशेस को ज्यादा रगड़े नही।
- पहली संतान को झटके से गोद ने न उठाएं।
- कोशिश करे कि ज्यादा से ज्यादा बाई करवट लेकर सोए।
- ढीले और आरामदायक कपड़े पहने।
- गर्भ संवाद अर्थात गर्भस्थ शिशु से बात करें।
- कब करे डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करें
- यदि शिशु की हलचल महसूस न हो रही हो।
- यदि धड़कन अचानक से बढ़ जाए और सांस लेने में दिक्कत हो।
- अचानक से योनि से स्त्राव बढ़ जाए।
- ब्लड स्पॉट दिखाई देने पर।